हिंदू धर्म में कार्तिक का महीना अति पावन होता है। यह महीना भगवान विष्णु की अनंत लीलाओं की महिमा का गुणगान करता है। भगवान विष्णु को सभी महीना में कार्तिक माह अति प्रिय है। मान्यता है कि इस महीने जो भी भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है उसे अक्षय फल की प्राप्ति होती है कार्तिक के महीने की महिमा अनंत है कहते हैं ना हरि अनंत हरि कथा अनंता इसी प्रकार कार्तिक मास के चल रहे इस पावन पर्व पर आज हम आपको भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण की एक बाल लीला की कथा बताने जा रहे हैं इसका वर्णन अनेक पुराणों में मिलता है। श्री कृष्ण के एक बाल लीला कथा इस कार्तिक मास से जुड़ी है जिस कारण कार्तिक मास को दामोदर मास के नाम से भी जाना जाता है तो चलिए फिर आपको विस्तार से इस कथा के बारे में बताते हैं।
अब जैसा कि हम सब जानते हैं कि हमारे बाल गोपाल एक माखन चोर के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि उन्हें माखन खाना बहुत पसंद था और वे अक्सर माखन चुरा कर खा लिया करते थे। एक बार यशोदा मैया ने माखन बनाकर रसोई घर से कुछ लेने चली गई और श्री कृष्ण ने माखन की मटकी को ऊपर बंधा देख माखन खाने की एक तरकीब अपनाई। श्री कृष्णा उस समय बहुत छोटे थे और उनका हाथ ऊपर रखे माखन की मटकी तक नहीं पहुंच पा रहा था तब उन्होंने माखन खाने के लिए पास में रखें उखल को रखा और उस पर चढ़कर माखन की मटकी तोड़ माखन निकाल कर खाने लगे इतने में मां यशोदा वहां पहुंची और उन्होंने देखा सारी मटकी टूटी पड़ी है कान्हा की इस शैतानी पर मां यशोदा ने उन्हें इस उखल से बांध दिया श्री कृष्ण को यशोदा मां ने कमर पर रस्सी से कस कर इस उखल से बांध दिया जिस पर वह चढ़कर माखन की मटकी से मक्खन निकाल कर खा रहे थ|
दरअसल नारद मुनि ने कुबेर के दो पुत्रों नलकुंवर और मानिग्रिव को श्राप देकर वृक्ष बना दिया था। वह दोनों लोग श्राप से मुक्ति पाने के बाद वर्षों से तपस्या कर रहे थे कि कब श्री कृष्ण जन्म लेंगे और कब उन्हें देवर्षि नारद के श्राप से मुक्ति मिलेगी। जब भी कृष्ण ने द्वापर युग में जन्म लिया और वह गोकुल आए और जब यशोदा मैया ने उन्हें उखल से जिस समय बांधा था तब उन्हें इन दोनों श्रापित नलकुंवर और मनीग्ग्रीव को श्राप से मुक्त भी करना था। यह दोनों श्री कृष्ण के नंद भवन के बाहर वृक्ष बन गए थे जब श्री कृष्णा बाल रूप में उखल से बंधे हुए थे तब पास में यह दोनों कुबेर के पुत्र एक श्रापित वृक्ष के रूप में खड़े थे श्री कृष्ण ने अपनी लीला से बंधे उखल को इन दोनों वृक्षों के बीच रखा और कस के उखल को आगे की ओर खींचा जैसे ही श्री कृष्ण ने उखल को कस कर खींच वह दोनों वृक्ष गिरे और दोनों दिव्य पुरुष प्रकट होकर अपने असली रूप में आ गए उन्होंने श्री कृष्ण को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और अपनी करनी की क्षमा याचना मांगी। इस तरह यह लीला उखल बंधन लीला कहलाई और यह लीला कार्तिक मास में हुई थी।
श्रीमद् भागवत महापुराण में श्री कृष्ण की इस लीला को विस्तार से बताया गया है जब दोनों वृक्ष गिरे तब यशोदा मैया श्री कृष्ण की चिंता करते हुए भागी चली आई और उनकी आंखों में आंसू आ गए थे वह श्री कृष्ण से बोली लाल अब मैं तुम्हें कभी भी सजा नहीं दूंगी और श्री कृष्णा अपनी बाल रूप की मंद मुस्कान लिए यशोदा मां के गले लग गए दामोदर का अर्थ होता है पेट से किसी चीज को बंद देना और श्री कृष्ण के ओखला से बंधे होने के कारण उनका नाम दामोदर पड़ा और कार्तिक महीने को दामोदर नाम से जाना जाने लगा।