एक ऐसा मंदिर जहां महामारी से बचने के लिए माता को मदिरा का चढ़ाया जाता है भोग

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने यह परंपरा निभाई इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़ी में मदिरा को भर जाता है उसमें नीचे छेद होता है पूरी यात्रा के दौरान इसमें से शराब की धार बहती है जो टूटती नहीं है
महामारी से बचने के लिए:-मान्यता है कि महामाया और देवी महालय मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है [Wikimedia Commons]
महामारी से बचने के लिए:-मान्यता है कि महामाया और देवी महालय मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है [Wikimedia Commons]
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भारत में कई सारे ऐसे मंदिर हैं जिनके पीछे के रहस्य बहुत गहरे होते हैं और उनके रीति रिवाज और परंपराओं को सुनकर तो और भी आश्चर्य होता है। ऐसे ही एक मंदिर के बारे में आज हम आपको बताएंगे जिसकी परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से शुरू हुए थे और आज तक वही परंपरा चली आ रही है। तो चलिए विस्तार से आपको इस मन्दिर के बारे में बताते हैं।

क्या है मान्यता

मान्यता है कि महामाया और देवी महालय मंदिरों में माता को मदिरा का भोग लगाने से शहर में महामारी के प्रकोप से बचा जा सकता है लगभग 27 किलोमीटर लंबी इस महा पूजा में 40 मंदिरों में मदिरा चढ़ाई जाती है। रविवार सुबह महा अष्टमी पर माता महामाया और देवी महालयों की विधि विधान से पूजा कर मदिरा का भोग लगाया गया। लोगों का मानना है कि शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने के लिए वर्कशाेक समृद्धि के लिए मदिरा का भोग लगाया जाता है। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने यह परंपरा निभाई इस यात्रा की खास बात यह होती है कि एक घड़ी में मदिरा को भर जाता है उसमें नीचे छेद होता है पूरी यात्रा के दौरान इसमें से शराब की धार बहती है जो टूटती नहीं है

 शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने के लिए वर्कशाेक समृद्धि के लिए मदिरा का भोग लगाया जाता है। [Wikimedia Commons]
शहर में कोई भी आपदा या बीमारी के संकट को दूर करने के लिए वर्कशाेक समृद्धि के लिए मदिरा का भोग लगाया जाता है। [Wikimedia Commons]

कहा होता है समापन

24 खंबा माता मंदिर से नगर पूजा की शुरुआत होती है। इसके बाद शासकीय डाल अनेक देवी व भैरव मंदिरों में पूजा करते हुए चलते हैं। नगर पूजा में 12 से 14 घंटे का समय लगता है रात करीबन 9:00 बजे गढ़कालिका क्षेत्र स्थित हांडी फोर्ट भैरव मंदिर में पूजा अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होती है।

भक्तों में बंटता है शराब का प्रसाद

पूजन खत्म होने के बाद माता मंदिर में चढ़ाई गई शराब को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांट दिया जाता है। इसमें बड़ी संख्या श्रद्धालु प्रसाद लेने आते हैं उज्जैन नगर में प्रवेश का प्राचीन द्वारा है नगर रक्षा के लिए यहां 24 खंबे लगे हुए थे।

24 खंबा द्वारा कहते हैं यहां मैन अष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर [Wikimedia Commons]
24 खंबा द्वारा कहते हैं यहां मैन अष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर [Wikimedia Commons]

इसलिए इसे 24 खंबा द्वारा कहते हैं यहां मैन अष्टमी पर सरकारी तौर पर पूजा होती है और फिर उसके बाद पैदल नगर पूजा इसलिए की जाती है ताकि देवी मां नगर की रक्षा कर सके और महामारी से बचाए।

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