कार्तिक माह में दो एकादशी आती है राम एकादशी और देवउठनी एकादशी। रमा एकादशी कृष्ण पक्ष में आती है तो वही देवउठनी एकादशी शुक्ल पक्ष में। इस बार रमा एकादशी का व्रत 9 नवंबर 2023 यानी कि गुरुवार को रखी जाएगी रमा एकादशी को राम क्यों कहते हैं और इसका महत्व क्या है आज हम विस्तार से जानेंगे।
रमा एकादशी कार्तिक कृष्ण पक्ष की एकादशी को कही जाती है इस दिन भगवान विष्णु की उपासना की जाती है साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन उपासना करने से पापों का नाश होता है। इस एकादशी व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख समृद्धि आती है साथ ही इस व्रत के प्रभाव से व्यक्तियों के उपरांत मुक्ति प्राप्त करता है। रमा एकादशी का व्रत एक 9 नवंबर के दिन मनाया जा रहा है इसे सभी व्रत में से सबसे कठिन एकादशी का व्रत माना जाता है। कुछ लोग माता लक्ष्मी के राम स्वरूप को भी इस दिन पूजते हैं। राम के साथ ही श्री हरि विष्णु के पूर्णावता केशव स्वरूप की पूजा भी होती है यह चतुर मास की अंतिम एकादशी भी है।
कार्तिक कृष्ण एकादशी को रमा एकादशी कहा जाता है रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा होती है। सभी एकादशी में रमा एकादशी का महत्व कई गुना ज्यादा माना गया है रमा एकादशी अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुना अधिक फलदाई मानी गई है कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति यह व्रत करता है उसके जीवन की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती है यह व्रत करने वालों के जीवन में समृद्धि और संपन्निता आती है।
रमा एकादशी का व्रत कामधेनु और चिंतामणि के समान फल देता है इस व्रत को रखने से जातक के सभी पाप कर्मों का नाश होता है इससे सभी तरह के पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से धन-धान्य की कमी नहीं रहती इस दिन प्रात काल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजन में भगवान विष्णु को धूप तुलसी के पत्तों दीप नावेद फूल और फल आदि अर्पित करना चाहिए एकादशी के अगले दिन द्विदासी पर पूजन के बाद गरीबों को भोजन और दान दक्षिणा देकर पारण करना चाहिए इससे एकादशी के व्रत को सफल बनाया जा सकता है।