भारत का वह क्षेत्र जहां होती है रावण की आरती क्या आप जानते हैं कहां?

कई जगहों पर रावण के पुतलों को भी जलाया जाता है और इन पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है।
रावण की आरती :- जी हां आपने सही सुना जिसे पूरा भारत घृणा की नजरों से देखा है इस भारत के एक क्षेत्र में रावण की आरती होती है।[Wikimedia Commons]
रावण की आरती :- जी हां आपने सही सुना जिसे पूरा भारत घृणा की नजरों से देखा है इस भारत के एक क्षेत्र में रावण की आरती होती है।[Wikimedia Commons]
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जी हां आपने सही सुना जिसे पूरा भारत घृणा की नजरों से देखा है इस भारत के एक क्षेत्र में रावण की आरती होती है। कई जगह ऐसी है जहां रावण की पूजा की जाती है श्रीलंका में भी रावण को भगवान माना जाता है भारत में भी कई जगह पर रावण को भगवान स्वरूप मानकर उनकी आरती की जाती है। तो कई जगहों पर रावण के पुतलों को भी जलाया जाता है और इन पुतलों को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। ऐसा ही एक शहर है उत्तर प्रदेश के मथुरा में सारस्वत वंश के लोगों ने मंगलवार को दशहरे के अवसर पर इस बार भी रावण दहन का विरोध करते हुए दशानन की आरती का आयोजन किया। तो चलिए इसके पीछे के कारणों को जानते हैं और समझते हैं की मथुरा में ऐसा क्यों होता है।

क्या कारण है रावण आरती के पिछे

लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने कहा कि भगवान श्री राम ने आचार्य स्वरूप में रावण द्वारा पूजा करने का निर्णय लिया था इसके लिए जामवंत को लंका में रावण के पास निमंत्रण भेजा गया। रावण माता सीता को साथ लेकर समुद्र तट पर आया था। जहां भगवान राम ने सीता जी के साथ शिवलिंग की स्थापना कर विशेष पूजा कर आए थीं। और लंकेश को अपना आचार्य बनाया था लंकेश द्वारा कराई गई पूजा वाली जगह को रामेश्वरम नाम से जाना जाता है।

भगवान श्री राम ने आचार्य स्वरूप में रावण द्वारा पूजा करने का निर्णय लिया था[Wikimedia Commons]
भगवान श्री राम ने आचार्य स्वरूप में रावण द्वारा पूजा करने का निर्णय लिया था[Wikimedia Commons]

रावण दहन कुप्रथा

ओमवीर सारस्वत ने कहा की रावण का पुतला दहन करना एक क प्रथम है क्योंकि सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति में एक व्यक्ति का एक बार ही अंतिम संस्कार किया जाता है बार-बार नहीं इसी मौके पर लंकेश भक्त मंडल के अनेक पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे और वे रावण दहन को एक कुप्रथा मानकर हर साल उनकी आरती उतारते हैं।

लंकेश भक्त मंडल के अनेक पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे और वे रावण दहन को एक कुप्रथा मानकर हर साल उनकी आरती उतारते हैं।[Wikimedia Commons]
लंकेश भक्त मंडल के अनेक पदाधिकारी एवं सदस्य मौजूद थे और वे रावण दहन को एक कुप्रथा मानकर हर साल उनकी आरती उतारते हैं।[Wikimedia Commons]

लंकेश भक्त मंडल के अध्यक्ष ओमवीर सारस्वत ने बताया कि दशहरे के मौके पर इस बार भगवान शिव के परम भक्त और भगवान श्री राम के आचार्य श्री कालदर्शी प्रखंड विद्वान महाराज रावण के पुतले के दहन का विरोध करते हुए यमुना पर पुल के नीचे स्थित रावण के मंदिर के समक्ष उनकी महा आरती की जाएगी। फिर लंकेश के स्वरूप द्वारा भगवान शिव की विशेष आराधना भी की जाएगी और इस प्रकार वह अपनी प्रथा को हर साल की तरह इस साल भी जारी रखेंगे और रावण की महा आरती करेंगे।

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