आज शनिवार के दिन 25 नवंबर 2023 को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और जब शनिवार के दिन त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो वह प्रदोत शनि प्रदोष कहलाता है। लिहाजा आज शनि प्रदोष व्रत है और शनि प्रदोष के दिन भगवान शंकर के साथ ही शनि देव की पूजा का भी बड़ा ही महत्व है। यदि कोई व्यक्ति शनि के साडेसाती से परेशान है, या यदि शनि का दोष लगा हुआ है तो आज के दिन उनकी सभी समस्याओं का अंत हो सकता है। तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताएंगे जिससे शनि का प्रकोप भी कम हो जाएगा।
शनिवार को होने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत रहते हैं। प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के नियमित किया जाने वाला व्रत है इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। संतान की इच्छुक दंपति शनि प्रदोष का व्रत करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं। संतान का ना होना संतान की तरक्की ना होना संतान के पढ़ाई में बाधा आदि देशों को दूर करने के लिए शनि प्रदोष व्रत सफलता दिलाता है।
ज्योतिष के अनुसार यदि शनि ग्रह की स्थिति में ना हो तो जीवन में संकटों का पहाड़ टूट पड़ता है। ऐसे में शनि प्रदोष के दिन यानी आज उनकी पसंद की सामग्रियां जैसे काला तिल नीला वस्त्र और सरसों के तेल से इनका अभिषेक करना चाहिए इस तरह शनि देव प्रसन्न होकर अपने कृपा बरसाते हैं।
माना जाता है कि शनि की साडेसाती बहुत पीड़ा देती है। ज्योतिषी शास्त्र के अनुसार जब शनि कुंडली में चंद्रमा के स्थान में एक घर आगे पीछे बैठे तो साडेसाती लगती है। अब ऐसे में शनि महाराज को प्रसन्न करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि शनि प्रदोष का व्रत करने से शनि भगवान काफी खुश हो जाते हैं। शनि देव की साडेसाती और दया से बचने के लिए एक बहुत ही फायदेमंद उपाय किया जा सकता है कहा जाता है कि यदि घोड़े की नाल से बना हुआ लोहे का छल्ला मध्य उंगली में पहना जाए तो इससे शनि की साडेसाती और दया से बचा जा सकता है। इसके अलावा शनि प्रदोष के दिन शनि चालीसा का पाठ संध्या काल में सूर्योदय के बाद करना चाहिए उनके मंत्र का 108 बार जाप करने से भी सारे दोष दूर हो जाते हैं।