![शिव और भगवान शंकर: हिंदू धर्म में भगवान शिव जिन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है उनकी मान्यता कहीं ज्यादा है। [Pixabay]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2023-11%2Ff7f7bdf1-6c81-47c8-a85c-e62b3bda321d%2Fistockphoto_1297315257_170667a.jpg?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
हिंदू धर्म में भगवान शिव जिन्हें देवों के देव महादेव के नाम से भी जाना जाता है उनकी मान्यता कहीं ज्यादा है। शिव जी के भक्त उन्हें कई नाम से बुलाते हैं जैसे भगवान शंकर, गंगाधर, भोलेनाथ, महेश, रूद्र, गिरीश। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान शिव और भगवान शंकर में अंतर है। यह अंतर भगवान में नहीं उनके रूपों में देखा जाता है। भगवान शिव और शंकर एक ही भगवान है लेकिन उनके दो अलग-अलग रूप है तो चलिए आज हम आपको विस्तार से बताते हैं कि भगवान शिव और भगवान शंकर में उनके रूपों में क्या अंतर पाया जाता है।
भगवान शंकर की पूजा सौम्या और रौद्र दोनों रूपों में की जाती है। त्रिदेवों में संहार का देवता भी भगवान शिव को माना जाता है भगवान शिव के जितने नाम है उतने ही उनके रूप भी हैं उनके हर रूप के पीछे कहानी भी है कुछ लोगों के लिए भगवान शिव और शंकर एक ही हैं एक ही सत्ता के प्रतीक है।
और दोनों की पूजा भी एक ही विधि से करते हैं परंतु भगवान शिव और शंकर दोनों अलग हैं दोनों का स्वरूप भी अलग-अलग है हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव के नाम में हर समस्या का समाधान छिपा है ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार शिव के हर नाम का एक अलग प्रभाव है महादेव के प्रत्येक नाम में एक ऐसी शक्ति होती है जिसे संसार की कोई भी समस्या हल हो सकती है।
वैसे हिंदू धर्म या सनातन धर्म को मानने वाले लोग भगवान शिव और शंकर को एक ही मानते हैं उनमें कोई अंतर नहीं मानते लेकिन शिव पुराण के अनुसार सबसे पहले प्रकाश पुंज की उत्पत्ति हुई थी। इस प्रकाश पुंज द्वारा ब्रह्मा और विष्णु की उत्पत्ति हुई थी। ऐसा कहा गया है कि जब ब्रह्मा जी ने इस प्रकाश पुंज से पूछा कि आप कौन हैं तब उस पुंज ने आवाज दी कि मैं शिव हूं । आवाज को सुनकर ब्रह्मा जी ने प्रकाश पुंज से कहा कि आप साकार रूप ले सकते हैं इसके बाद ही वह प्रकाश पुंज से भगवान शंकर की उत्पत्ति हुई और इसी कारण कहा गया है कि भगवान शिव और शंकर एक ही शक्ति के अंश है परंतु दोनों अलग है।
भगवान शिव और शंकर में अंतर केवल यह है कि शिव प्रकाश पुंज स्वरूप है जिनकी हम शिवलिंग के रूप में पूजा करते हैं और भगवान शंकर सर शरीर देव स्वरूप है। भगवान शंकर निराकार शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में करते हैं। वही शंकर जी को अपने ऊंचे पर्वतों पर तपस्या करते या योगी के रूप में देखा होगा भगवान शंकर आंखें बंद कर ध्यान मुद्रा में बैठे दिखते हैं इससे स्पष्ट होता है कि शंकर जी एक साकार रूप है वही भगवान शिव एक ज्योति स्वरूप है और इसलिए शिव का स्वरूप निराकार है यानी शिवलिंग के रूप में है।