मुंबई के वैज्ञानिकों ने बनाया बैटरी से चलने वाला मास्क, बैक्टीरिया और फंगस को 99.9 प्रतिशत तक रोकने में सफल

(NewsGram Hindi)
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यहां के एनएमआईएमएस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बैटरी से चलने वाला और दोबारा उपयोग के लायक मास्क(Mask) बनाया है, जो हवा में फैलने वाले मानव रोगजनकों से सुरक्षा देता है। साधारण मास्क(Mask) एयरजेल और बड़े धूल कणों से बचाते हैं, वे अधिकांश मानव रोगजनकों से रक्षा नहीं करते। इसके विपरीत, नए तरह के मास्क में धातु की जाली के साथ चार-परत कॉटन है, जो एक विद्युत फिल्टर के रूप में कार्य करता है। सांस लेने और छोड़ने के दौरान, मास्क के संपर्क में आने वाले रोगजनक जीवाणु तुरंत निष्प्रभावी हो जाते हैं, जिससे उपयोगकर्ता को पूर्ण सुरक्षा मिलती है।

यह मास्क दोबारा उपयोग किए जाने लायक और पर्यावरण के अनुकूल है। यदि उचित देखभाल के साथ उपयोग किया जाता है, और इसे बदला जा सकता है, तो बैटरी छह महीने से अधिक समय तक चलती है। यह मास्क पर्यावरण के बोझ को कम करने वाले 240 से अधिक नियमित मास्क की जगह लेता है, और इस प्रकार पर्यावरण के अनुकूल है।

मुंबई में एनएमआईएमएस के सुनंदन दिवातिया स्कूल ऑफ साइंस के डीन नीतिन देसाई ने आईएएनएस को बताया, हमने लिथियम बटन वाली बैटरी का इस्तेमाल किया है, जिसे इस्तेमाल कर फेंका जा सकता है। यह छह से आठ महीने तक चल सकती है।

कोरोना के खिलाफ लड़ने में यह तकनीक हो सकती है असरदार।(Pixabay)

देसाई ने कहा, प्रयोगशाला की स्थितियों में इसे लगातार 72 घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है। यह मास्क बैक्टीरिया और फंगस के विकास को 99.9 प्रतिशत तक रोक देता है।

उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह से फार्मा कंपनी मिल्टन ग्रुप द्वारा इस मास्क को व्यावसायिक रूप से बेचा जाएगा। इसकी कीमत 800 रुपये से 1,000 रुपये के बीच होगी (आईएएनएस-PS)

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