उम्र को नियंत्रित करने वाले जीन पर वैज्ञानिकों को फिर से करना पड़ सकता है काम : एनआईएच

एक अध्ययन में पाया गया है कि केवल 30 प्रतिशत मानव जीन, जो उम्र बढ़ने की पारंपरिक पहचान हैं, सीधे तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। (Pixabay)
एक अध्ययन में पाया गया है कि केवल 30 प्रतिशत मानव जीन, जो उम्र बढ़ने की पारंपरिक पहचान हैं, सीधे तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। (Pixabay)
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यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) (एनआईएच) में एक भारतीय अमेरिकी शोधकर्ता के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि केवल 30 प्रतिशत मानव जीन, जो उम्र बढ़ने की पारंपरिक पहचान हैं, सीधे तौर पर उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि वैज्ञानिकों को पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है कि कौन से जीन वास्तव में उम्र बढ़ने को नियंत्रित करते हैं।

शोधकर्ताओं ने समझने के लिए फल मक्खियों को खाने के साथ एंटीबायोटिक दवाएं खिलाईं और सैकड़ों जीनों की आजीवन गतिविधि की निगरानी की, जिसके बाद उन्होंने बढ़ती उम्र को रोकने वाले जीन पर विचार किया।

उन्हें आश्चर्य हुआ कि एंटीबायोटिक्स ने न केवल मक्खियों के जीवन को बढ़ाया बल्कि इन जीनों में से कई की गतिविधि को नाटकीय रूप से बदल दिया। उनके परिणामों ने सुझाव दिया कि पारंपरिक रूप से उम्र बढ़ने से जुड़े लगभग 30 प्रतिशत जीन ही जानवरों की आंतरिक घड़ी सेट करते हैं, जबकि बाकी बैक्टीरिया के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं।

एनआईएच के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर और स्ट्रोक के एडवर्ड गिनिगर ने कहा, दशकों से, वैज्ञानिक कॉमन उम्र बढ़ने वाले जीनों की एक हिट सूची विकसित कर रहे हैं।

यह जानकर चौंक जाएंगे कि इनमें से केवल 30 प्रतिशत जीन ही उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं। (सांकेतिक चित्र, Pixabay)

उन्होंने कहा कि हम यह जानकर चौंक जाएंगे कि इनमें से केवल 30 प्रतिशत जीन ही उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं। हमें उम्मीद है कि ये परिणाम चिकित्सा शोधकर्ताओं को उन ताकतों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे जो कई उम्र से संबंधित विकारों को जन्म देती हैं। इसके निष्कर्ष आईसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरेट शोधकर्ताओं के प्रमुख लेखक अरविंद कुमार शुक्ला ने कहा, "मक्खियों के लिए यह उम्र में एक बड़ी छलांग है। मनुष्यों में, यह जीवन के लगभग 20 साल हासिल करने के बराबर होगा।"

शुक्ला और उनकी टीम ने मक्खियों के जीन में सुराग की तलाश की। उन्होंने 10, 30 और 45 दिन पुरानी मक्खियों के सिर में जीन गतिविधि की निगरानी के लिए उन्नत आनुवंशिक तकनीकों का इस्तेमाल किया।

शुक्ला ने कहा, "सबसे पहले, हमें परिणामों पर विश्वास करने में कठिनाई हुई। इनमें से कई जीन उम्र बढ़ने की शास्त्रीय पहचान हैं और फिर भी हमारे परिणामों ने सुझाव दिया कि उनकी गतिविधि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के बजाय बैक्टीरिया की उपस्थिति का एक कार्य है।"(आईएएनएस-SM)

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