Ancient Story of Kabaddi : कबड्डी गांव के हर बच्चे के पसंदीदा खेलों में से एक है। इस खेल को कई लोग ताकत का खेल समझते हैं, जिसमें एक तरह की शारीरिक झड़प शामिल होती है। आपको बता दें, कबड्डी केवल भारत के ग्रामीण इलाकों में ही नहीं बल्कि शहर के बड़े मैदानों में आज भी खूब शौक से खेला जाता है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी लोकप्रियता अभी भी काफी ज्यादा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कबड्डी की शुरुआत कहीं और से नहीं, बल्कि भारत की मिट्टी से ही हुई थी, तो आइए आज जानते हैं कबड्डी के इतिहास को।
आपको बता दें कि कबड्डी, तमिल शब्द काई-पुडी से बना है, जिसका मतलब है हाथ पकड़ना। यह एक प्रकार से ताकत का ही खेल है, अर्थात् आप अस्वस्थ होकर इसे नहीं खेल सकते हैं। इस खेल में गजब की फुर्ती चाहिए होती है, जिसमें पलक झपकने से पहले ही सामने मौजूद टीम के क्षेत्र में घुसकर वापस लौटना होता है।
भारत में कबड्डी की कहानी सदियों पुरानी बताई जाती है। एक अनुमान लगाया गया कि कबड्डी की तकनीक उन तौर तरीकों से मेल खाती हैं, जो इंसान प्राचीन काल में खतरनाक परिस्थितियों में पलटवार करने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। केवल इतना ही नहीं बल्कि कबड्डी से मिलती जुलती कहानियां महाभारत में भी लिखी गई हैं। जैसे - दुश्मन के चक्रव्यूह में घिरे अर्जुन के बेटे अभिमन्यु की कहानी, जो कबड्डी के दांव याद दिलाती है। जबकि इस खेल में मामूली बदलाव किए गए, लेकिन अभी भी लक्ष्य वैसा ही है अर्थात् दुश्मन के इलाके में घुस कर उसे पछाड़ना।
कबड्डी के खेल में 7 खिलाड़ियों वाली दो टीम होती हैं। एक के बाद एक दोनों टीमों का खिलाड़ी, जिसे रेडर कहते हैं, लगातार कबड्डी बोलता हुआ दूसरी टीम के पाले में कदम रखता है। इस खेल में लक्ष्य होता है, दूसरी टीम के ज्यादा से ज्यादा सदस्यों को छूकर वापस अपने क्षेत्र में लौटना।
आज यह खेल काफी लोकप्रिय हो गया है। बता दें, प्रो-कबड्डी लीग के पहले सीजन को 435 मिलियन से भी ज्यादा लोगों ने देखा है और उस साल यह आईपीएल के अलावा भारतीय टेलीविजन का दूसरा सबसे ज्यादा देखा गया स्पोर्ट्स टूर्नामेंट बन गया। इस खेल की जड़े भारत से ही जुड़ी हुई हैं।