40 के दशक में एक टेस्ट मैच खेलने पर मिलता था एक रूपया, अब मिलता है 45 लाख

भारतीय टीम की ओर से 40 के दशक में खेलने वाले माधव आप्टे ने बीसीसीआई के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक समारोह में कहा था कि भारतीय टीम जब 40 के दशक में खेलती थी, तो भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने पर एक रुपया मिलता था।
BCCI : बीसीसीआई ने पहली बार एक अक्टूबर 2004 को क्रिकेटर कांट्रैक्ट सिस्टम लागू किया।(Wikimedia Commons)
BCCI : बीसीसीआई ने पहली बार एक अक्टूबर 2004 को क्रिकेटर कांट्रैक्ट सिस्टम लागू किया।(Wikimedia Commons)
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BCCI : इस साल इंडियन प्रीमियर लीग के 17वें संस्करण का समापन शानदार रहा। रविवार को आईपीएल फाइनल में कोलकाता नाइटराइडर्स ने सनराइजर्स हैदराबाद को हराकर ट्रॉफी जीत ली। तीसरी बार आईपीएल खिताब जीतने वाली केकेआर की टीम को 20 करोड़ रुपये का इनाम मिला। सनराइजर्स हैदराबाद का खिताब जीतने का सपना इस साल तो टूट गया, लेकिन उपविजेता बनने पर टीम को 13 करोड़ रुपये की इनामी राशि मिली।आपको बता दें कि वैसे मिचेल स्टार्क इस सीजन में सबसे महंगे खिलाड़ी थे। इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी को केकेआर ने 24.70 करोड़ रुपये में खरीदा था।

जब खिलाड़ियों की नीलामी होती है तो उन्हें करोड़ों-लाखों की कीमत देकर टीमें अपने साथ जोड़ने का प्रयास करती है। सिर्फ यही नहीं भारत में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ियों की पौ-बारह रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्रिकेटरों के लिए हमेशा ऐसा वक्त नहीं था। एक समय था जब 40 के दशक में भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने के लिए एक रुपया मिलता था।

टेस्ट मैच में मिलता था एक रुपया

भारतीय टीम की ओर से 40 के दशक में खेलने वाले माधव आप्टे ने बीसीसीआई के 75 साल पूरे होने के अवसर पर एक समारोह में कहा था कि भारतीय टीम जब 40 के दशक में खेलती थी, तो भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट मैच खेलने पर एक रुपया मिलता था। ये रकम उन्हें लांड्री भत्ते के रूप में दी जाती थी, जिससे वो अपनी सफेद पोशाक को साफ रख सकें। उस समय वे जहाज से नहीं बल्कि ट्रेन से यात्रा करते थे। फिर मैच फीस बढ़कर पांच रुपये हुई। 1955 के आसपास भारतीय क्रिकेटरों को 250 रुपये मिलने लगे। कई बार बीसीसीआई के पास क्रिकेटरों को मैच फीस देने के भी पैसे नहीं होते थे।

 प्रत्येक सीजन 7 से ज्यादा टेस्ट खेलने वाले प्लेयरों को 45 लाख रुपये प्रति मैच तक दिए जाएंगे।(Wikimedia Commons)
प्रत्येक सीजन 7 से ज्यादा टेस्ट खेलने वाले प्लेयरों को 45 लाख रुपये प्रति मैच तक दिए जाएंगे।(Wikimedia Commons)

कांट्रैक्ट सिस्टम के बाद हुए मालामाल

समय के साथ खिलाड़ियोंं की मैच फीस में तो लगातार बढोतरी होती रही, लेकिन खिलाड़ियों के खाते में उस समय बड़ी रकम आने लगी जब बीसीसीआई ने पहली बार एक अक्टूबर 2004 को क्रिकेटर कांट्रैक्ट सिस्टम लागू किया। क्रिकेटरों के प्रदर्शन और पोजिशन के लिहाज से कुछ क्रिकेटरों को ए प्लस स्पेशल ग्रेड देने का फैसला किया गया। सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ समेत सात क्रिकेटरों को ए ग्रेड दिया गया था, जिसके तहत क्रिकेटरों को सात करोड़ रुपये सालाना दिए जा रहे हैं। वेतन में तीन गुने से भी ज्यादा की बढ़ोतरी की गई। अन्य सात को बी ग्रेड और तीन को सी ग्रेड मिला।

अब प्रति टेस्ट मिलते हैं 45 लाख

बीसीसीआई ने इसी साल युवा खिलाड़ियों में टेस्ट क्रिकेट के प्रति ललक बढ़ाने के लिए टेस्ट फीस में बढ़ोतरी की है। प्रत्येक सीजन 7 से ज्यादा टेस्ट खेलने वाले प्लेयरों को 45 लाख रुपये प्रति मैच तक दिए जाएंगे। पहले भारतीय क्रिकेटरों को एक टेस्ट खेलने पर 15 लाख रुपये दिए जाते थे। ऐसे में नई स्कीम के तहत नियमित टेस्ट खेलने वाले क्रिकेटरों को बड़ा फायदा होगा। खास तौर पर वे क्रिकेटर जो सिर्फ टेस्ट क्रिकेट ही खेलते हैं।

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