![आकाश दीप का जन्म 15 दिसंबर 1996 को देहरी, रोहतास, बिहार में हुआ और वे बड़े हुए सासाराम में। [ESPNcricinfo]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-07-10%2F8n1cr5oz%2F403408.6.webp?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
सोहनलाल द्विवेदी की एक पंक्ति है : “कुछ किए बिना ही जय जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”। यह पंक्ति आकाशदीप पर बिल्कुल फिट बैठती है, जिनके संघर्ष और आत्मसमर्पण ने आज उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुंचाया है।
जब कोई व्यक्ति रातों रात स्टार नहीं बनता तो इसका स्पष्ट मतलब यह होता है की उसकी स्टारडम के पीछे एक कहानी छिपी है। बिहार की गलियों से निकल कर गली क्रिकेट, आईपीएल और आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी फास्ट बोलिंग से सभी को अपना फैन बनाने वाले आकाशदीप की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। आजकल के युवा जो हर छोटी-छोटी बातों पर शिकायत करते हैं या विपरीत परिस्थितियों से भागने लगते हैं उन्हें आकाशदीप की यह कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।
जीवन का पहला पिच: बिहार की गलियां
आकाश दीप का जन्म 15 दिसंबर 1996 को देहरी, रोहतास, बिहार में हुआ और वे बड़े हुए सासाराम में। इनके पिता रामजी सिंह, एक सरकारी स्कूल टीचर थे और वे चाहते थे कि आकाश पढ़-लिखकर सरकारी नौकरी पाएं। हालांकि सरकारी नौकरी पाना हर माता-पिता का सपना होता है कुछ वैसा ही आकाशदीप के पिताजी भी चाहते थे की पढ़ लिखकर आकाशदीप सरकारी नौकरी करें लेकिन क्रिकेट खेलना वे व्यर्थ समझते थे और घर-गाँव में भी इसका समर्थन नहीं था।
2010 में आकाशदीप ने परिवार से लड़कर क्रिकेट खेलने के लिए दुर्गापुर जाने का निर्णय लिया। हालांकि आकाशदीप बताते हैं कि उन्होंने एक बहाने से क्रिकेट खेलना शुरू किया था लेकिन आज वही बहाना उनके लिए जिंदगी बन चुकी है। शुरुआती दौर में आकाशदीप ने बल्लेबाजी पर ध्यान दिया लेकिन जब उनके कोच ने उनकी गेंदबाजी देखी तो उन लोगों ने आकाशदीप को तेज गेंदबाजी पर प्रोत्साहन किया।
जीवन का दूसरा पिच: टर्निंग पॉइंट
आकाशदीप अभी दुर्गापुर में अपने क्रिकेट जर्नी को लेकर जूझ रहे थे कि तभी उन्हें वापस बिहार जाना पड़ा। 2015 में आकाशदीप की जिंदगी पूरी तरह से बदल गई जब उनके पिता को स्ट्रोक हुआ और उनकी मृत्यु हो गई और ठीक इसके दो महीने के बाद आकाशदीप के बड़े भाई की भी मृत्यु हो गई। आकाशदीप के लिए यह एक बहुत बड़ा झटका था, उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया था। परिवार की जिम्मेदारी अब आकाशदीप पर थी। इस हादसे के बाद आकाशदीप ने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया और लगभग 3 साल तक क्रिकेट से दूरी बना ली।
आकाशदीप एक तरफ क्रिकेट से दूर भाग रहे थे क्योंकि उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ी थी लेकिन वहीं दूसरी तरफ उनकी मां और बहनों ने उन्हें दोबारा क्रिकेट की तरफ धकेल दिया। 2018 में वह दुर्गापुर लौटे और फिर कोलकाता में United Club में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण कराया। उन्होंने टी-20, लिस्ट ए और रणजी ट्रॉफी सभी प्रारूपों में 2019 में Bengal के लिए खेला।
कभी नहीं की शिकायत
आकाशदीप केवल आर्थिक तंगी से नहीं गुजर रहे थे उनके जीवन में और भी कई परेशानियां थीं लेकिन उन्होंने कभी भी शिकायत नहीं की। आकाशदीप के कोच बताते हैं कि जब वह दोबारा दुर्गापुर आए तो यहां एक हॉस्टल में रहते थे उस हॉस्टल की हालत बहुत खराब थी ना खाने की सुविधा, ना साफ सफाई इतनी खराब की वहां बीमारी से ही कोई भी मर जाए लेकिन उन्होंने आज तक आकाशदीप के मुंह से एक भी बार इन चीजों का जिक्र नहीं सुना था। जब एक सफल व्यक्तित्व बनता है तो उसके पीछे कई संघर्ष होते हैं उन संघर्षों को झेलते हुए आकाशदीप ने आज कामयाबी पाई है।
जीवन का तीसरा पिच: उड़ान
2018‑19 सीज़न में उन्होंने Syed Mushtaq Ali Trophy में टी‑20 में चुना गया। सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और फिर Vijay Hazare Trophy में लिस्ट‑ए और रणजी ट्रॉफी (दिसंबर 2019) में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी हिस्सा लिया। आकाशदीप ने 2019‑20 रणजी में शानदार प्रदर्शन किया और दूसरे मैच में 6 विकेट, और पूरे सीजन में 35 विकेट लेकर सबकी नजरों में छा गए। अब तक तो आकाशदीप अपना कैरियर बना रहे थे और तभी 30 अगस्त 2021 को उन्हें Royal Challengers Bangalore (RCB) द्वारा आईपीएल टीम में चुना गया।
आईपीएल में चुने जाने के बाद आकाशदीप की जिंदगी आर्थिक रूप से भी मजबूत हो गई। फिर फरवरी 2022 की नीलामी में RCB ने उन्हें बरकरार रखा। IPL में नेट बॉलर के रूप में प्रदर्शन और अभ्यास से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। आरसीबी में रहते हुए आकाशदीप ने अपना खूब नाम बनाया खूब विकेट्स ली और अपने शानदार प्रदर्शन से सभी को काफी इंप्रेस किया।
जीवन का चौथा पिच: उड़ान 2.0
आकाश दीप को नवंबर 2023 में भारत के ODI स्क्वॉड में शामिल किया गया (South Africa series), हालांकि उन्होंने उस ODI को खेला नहीं, लेकिन यह उनके बढ़ते करियर का संकेत था, और उनके लिए कई अच्छी ऑपर्च्युनिटीज ले कर आया। 23 फरवरी 2024 को रांची में एक टेस्ट में आकाश ने अपना इंटरनेशनल टेस्ट डेब्यू किया, जहां उन्होंने पहले सत्र में 10 गेंदों के भीतर तीन विकेट लेकर इंग्लैंड को हिला दिया। उनकी जाबाज़ खेल की टेक्नीक देख लोग दंग रह गए। उन्होंने डेब्यू के बाद कहा, “यह प्रदर्शन मेरे पिता के लिए है”। आकाश दीप पूरे पोर्टफोलियो में न सिर्फ तेज़ गेंदबाज़ हैं, बल्कि सुलझे lower order बैटिंग की क्षमता के कारण ऑल‑राउंडर की पहचान भी बना रहे हैं।
आकाशदीप को दोबारा इंटरनेशनल टेस्ट में मौका दिया गया और इस बार वे जसप्रीत बुमराह की जगह टीम में शामिल किए गए हैं। आकाशदीप ने अब तक दोनों पारियों में मिलाकर 10 विकेट झटके और मैच के हीरो बन गए हैं। पहली पारी में जहां उन्होंने चार विकेट लिए, वहीं दूसरी पारी में शानदार गेंदबाजी का कहर बरपाते हुए छह विकेट लेकर इंग्लैंड की कमर तोड़ दी। इस इंटरनेशनल टेस्ट में उन्होंने 10 विकेट लेकर अपनी इस खेल को अपनी बहन जो कि कैंसर से पीड़ित हैं, उन्हें समर्पित किया।
उड़ान अभी बाकी हैं
अभी तक आकाशदीप ने कई माचिस खेल अच्छे रिकॉर्ड्स बनाएं यहां तक की 160 साल के पुराने रिकॉर्ड्स को तोड़ा लेकिन अभी यह सिर्फ शुरुआत है। आकाशदीप को अभी भारत के लिए नीली जर्सी पहन कर खेलना है और क्रिकेट की दुनिया में काफी दूर भी जाना है। आकाश दीप यह साबित कर रहे हैं कि “संघर्ष सिर्फ रास्ता बनाता है, मंज़िल नहीं रोकती।” एक छोटे शहर का बच्चा, अपने घर का जिम्मेदार, कॉलेज को छोड़कर बंगाल पहुंचा, रणजी में नाम कमाया, RCB की जर्सी पहनी, और अंततः टीम इंडिया के लिए Test डेब्यू कर दुनिया को चौंका दिया।
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आज, आकाश की कहानी सिर्फ उपलब्धियों की नहीं, बल्कि आप्रत्याशित संघर्ष, भावनात्मक समर्पण और भविष्य की कोशिशों की है। आने वाले समय में उनका सफर और लंबा रहने वाला है, हर पिच पर, हर विकेट के साथ, एक नई उड़ान लेने के लिए तैयार। [Rh/SP]