Terminalia Tomentosa Tree In Andhra Pradesh: इस दुनियां में अनेक रहस्य है जिसे समझ पाना कभी - कभी आम इंसान के लिए मुश्किल होता है। आंध्र प्रदेश में एक ऐसा ही पेड़ मौजुद है जिसे आप एक अजूबा कह सकते हैं। इस पेड़ की खासियत हैरान कर देने वाली है। दरहसल, आंध्र प्रदेश के एएसआर जिले के पापिकोंडा राष्ट्रीय उद्यान में जब वन अधिकारियों ने इंडियन लॉरेंस नाम के एक पेड़ की छाल को काटा तो उसमें से किसी नल की तरह पानी की धारा निकलने लगी।
इस अनोखे पेड़ का नाम इंडियन लॉरेल ट्री है। यह पेड़ गर्मियों में अपने अंदर पानी एकत्रित कर लेता है। बौद्ध धर्म के लोगों के लिए ये पेड़ बहुत ही खास है, वे इस पेड़ से धार्मिक भावनाओं से जुड़े हुए हैं। गोदावरी क्षेत्र में पहाड़ी की तलहटी में रहने वाली जनजाति समूह कोंडा रेड्डी समुदाय ने इस पेड़ के बारे में जानकारी दी कि वे सदियों से इसकी छाल को काटकर अपना प्यास बुझाते रहे हैं।
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, जब आंध्र प्रदेश के वन विभाग के अधिकारी नरेंद्रन ने इस बात की पुष्टि करने के लिए भारतीय लॉरेल पेड़ की छाल को काटा तो उसमें से पानी निकल आया। गर्मियों के दौरान, भारतीय लॉरेल पेड़ में पानी जमा होता है जिसमें तेज गंध होती है और इसका स्वाद खट्टा होता है।
इस पेड़ की ऊंचाई करीब 30 फीट लंबी हो सकती है और यह ज्यादातार सूखे और नमी वाले जंगलों में पाए जाते हैं। इस पेड़ की सबसे बड़ी खसियत यह है कि इसके तने में पानी भरा होता है, जबकि इसका तना और पेड़ो के मुकाबले फायर प्रूफ होता है। इंडियन सिल्वर ओक के रूप में जानी जाने वाली इंडियन लॉरेल की लकड़ी का व्यावसायिक मूल्य बहुत अधिक है।
वन अधिकारियों ने इन पेड़ों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए पेड़ के सटीक स्थान का खुलासा नहीं किया है। इस पेड़ को क्रोकोडाइल बार्क ट्री भी कहा जाता है। इसके अलावा पेड़ की अनोखी खासियतों की वजह से बौद्ध धर्म के लोग इसे बोधी पेड़ भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस पेड़ के नीचे तपस्या करते वक्त बोधिसत्त्व को ज्ञान की प्राप्ती हुई थी।