Global Warming: मौसम में आए बदलाव ने असम में चाय के बगानों को प्रभावित किया

विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग ने पिछले कुछ वर्षो में असम में चाय बागानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। सिंचाई के बिना चाय बागानों का बचे रहना मुश्किल हो रहा है।
Global Warming: मौसम में आए बदलाव ने असम में चाय के बगानों को प्रभावित किया(IANS)

Global Warming: मौसम में आए बदलाव ने असम में चाय के बगानों को प्रभावित किया(IANS)

असम

न्यूज़ग्राम हिंदी: विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग ने पिछले कुछ वर्षो में असम में चाय बागानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। सिंचाई के बिना चाय बागानों का बचे रहना मुश्किल हो रहा है। वरिष्ठ कृषि विज्ञानी और प्लांट फिजियोलॉजी विशेषज्ञ पी. सोमन ने कहा कि जलवायु परिवर्तन असम में चाय उद्योग की शीर्ष पांच चुनौतियों में से एक है।

गोलाघाट में हुई एक कार्यशाला में सोमन ने प्रमुख वक्ता के रूप में बताया कि कृषि विज्ञान में परिवर्तन कैसे सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकी को फसल की उपज बढ़ाने में मदद करते हैं।

उन्होंने कहा कि चाय बागान जलवायु पर अत्यधिक निर्भर हैं।

तकनीकी विशेषज्ञ विनय राधाकृष्णन ने कार्यशाला में उन्नत तकनीक के हाइड्रो न्यूमेटिक पंपों के महत्व पर प्रकाश डाला।

नॉर्थ ईस्ट टी एसोसिएशन (एनईटीए) की चाय अकादमी ने गोलाघाट में एनईटीए मुख्यालय में 'प्रौद्योगिकी संचालित सिंचाई और चाय में उर्वरता का महत्व' विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया है।

एमडी के ऑर्गेनिक (जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड के डिस्ट्रीब्यूटर) के सीईओ पीयूष गट्टानी ने चाय में फर्टिगेशन और ऑटोमेशन के साथ ड्रिप सिंचाई स्थापित करने की लागत के अर्थशास्त्र पर प्रकाश डाला।

पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ चाय बागान मालिक शिव सरिया ने चाय बागानों में सूक्ष्म सिंचाई का उपयोग करके अपने व्यापक अनुभव और लाभों को साझा किया।

जैन इरिगेशन सिस्टम्स ने भारत में पहली बार असम के कार्बी आंगलोंग में लगभग 100 हेक्टेयर चाय बागान में फर्टिगेशन और ऑटोमेशन के साथ ड्रिप सिंचाई को सफलतापूर्वक स्थापित किया।

जैन इरिगेशन भी चाय बागान के साथ मिलकर नवीनतम सूक्ष्म सिंचाई तकनीक या आवश्यकता आधारित सिंचाई प्रणाली शुरू करने के लिए काम कर रहा है।

एनईटीए के सलाहकार बिद्यानंद बरकाकोटी ने कहा कि इस प्रणाली में कृषि क्षेत्र की सिंचाई और उर्वरता का निर्णय उपग्रह क्षेत्र का डेटा, मिट्टी की नमी सेंसर और अन्य अनुप्रयोगों से प्राप्त इनपुट के आधार पर लिया जाता है।

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Global Warming: मौसम में आए बदलाव ने असम में चाय के बगानों को प्रभावित किया

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उन्होंने कहा कि दो दिवसीय कार्यशाला टिकाऊ कृषि विकास की नई संभावनाओं और असम के चाय किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने का एक तरीका है।

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असम, जो भारत की लगभग 55 प्रतिशत चाय का उत्पादन करता है, के संगठित क्षेत्र में 10 लाख से अधिक चाय श्रमिक हैं, जो लगभग 850 बड़े बागानों में काम करते हैं।

इसके अलावा, लाखों छोटे-छोटे चाय बागान हैं, जिनका स्वामित्व व्यक्तियों के पास है।

असम की ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी के चाय उत्पादन क्षेत्र में 60 लाख से अधिक लोगों के घर हैं।

--आईएएनएस/VS

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