

क्यों बिहार चुनाव 2025 में पलायन सबसे बड़ा मुद्दा है
क्या कहती है जनता, शराबबंदी सही या गलत
कैसे बिहारी पहचान और छवि आज भी लोगों को प्रभावित करती है
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के उत्तर कैंपस (North Campus) में जब छात्रों और शिक्षकों से बिहार चुनाव 2025 (Bihar Elections 2025) पर बात की गई, तो माहौल बहुत जोशीला था। कई लोग बिहार के थे, कुछ दूसरे राज्यों से आए थे, पर सबके पास अपनी राय थी। किसी ने पलायन (Migration) की बात की, किसी ने विकास की, तो किसी ने बिहार की छवि को लेकर चिंता जताई।
1. पलायन: “पढ़ाई और नौकरी के लिए बाहर जाना मजबूरी है”
ज़्यादातर लोगों ने कहा कि बिहार की सबसे बड़ी समस्या और मुदा है पलायन। हर साल लाखों बच्चे और मज़दूर पढ़ाई (Education) या नौकरी (Employment) के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक बिहार (Bihar) में अच्छे कॉलेज, यूनिवर्सिटी (University) और इंडस्ट्री (Industry) नहीं होंगी, तब तक लोग बाहर ही जाएंगे।
छात्रों का कहना था कि सरकार को अब शिक्षा और रोज़गार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि बिहार के युवा अपने राज्य में ही आगे बढ़ सकें।
2. चुनावी हवा: “सरकार किसी की भी बने, मुख्यमंत्री Nitish ji ही रहेंगे”
जब पूछा गया कि इस बार बिहार चुनाव 2025 में कौन जीतेगा, तो जवाब मिले-जुले थे। एक व्यक्ति ने कहा:
कुछ छात्रों ने कहा कि NDA की ही हवा चल रही है, जबकि कुछ ने कहा कि जन सुराज (Jan Suraj), जो प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की नई पार्टी है, उसे मौका मिलना चाहिए। कुछ ने कहा:
3. शराबबंदी पर राय: “बैन से ज़्यादा नुकसान हुआ”
शराबबंदी के मुद्दे पर लोगो की राय यह थी की बिहार में शराब पर बैन से हालात और खराब हुए हैं। एक अध्यापक ने कहा:
शराब पर बैन से सरकार का टैक्स (Tax) भी कम हो गया है, जिससे नुकसान हुआ। पहले शराब से टैक्स की कमाई होती थी जो अब नहीं हो रही। कई लोगों का मानना है कि शराबबंदी से सामाजिक नुकसान ज़्यादा और फायदा कम हुआ है।
4. विकास और शिक्षा: “अब काम दिखने लगा है, पर अभी लंबा रास्ता बाकी है”
कुछ शिक्षकों ने कहा कि Nitish Kumar की सरकार अब शिक्षा और सड़कों पर काम कर रही है। एक व्यक्ति ने कहा:
उन्होंने बताया कि सरकार नए विश्वविद्यालय बना रही है ताकि बच्चे बाहर न जाएं। कुछ लोगों का कहना है कि नितीश जी (Nitish ji) अब पार्टी बदलने के बजाय एनडीए (NDA) के साथ रहकर विकास पर ध्यान दे रहे हैं।
5. बिहारी पहचान: “आज भी लोग बिहारी होने पर जज करते हैं”
एक व्यक्ति ने कहा की, “जब कोई सुनता है कि आप बिहार से हैं, तो थोड़ी अलग नजर से देखता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि नेताओं ने बिहार (Bihar) की छवि खराब कर दी है। उन्होंने कुछ किया नहीं, और बदनाम आम लोग हो गए।”
यह बात बहुत गहराई से समझाती है कि बिहार चुनाव 2025 (Bihar Election 2025) सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि पहचान और सम्मान का भी सवाल है। कई छात्रों ने कहा कि वे बिहार वापस जाना चाहते हैं, पर नौकरी नहीं है, इसलिए मजबूरी में बाहर रहना पड़ता है।
निष्कर्ष:
दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) के कैंपस से जो आवाज़ें आईं, वे साफ दिखाती हैं कि बिहार चुनाव 2025 में लोगों के लिए मुद्दे सिर्फ नेता नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़े हैं। पलायन, शराबबंदी और बिहारी पहचान, ये तीनों बातें आज हर युवा के मन में हैं।
लोग चाहते हैं कि बिहार ऐसा राज्य बने जहाँ पढ़ाई, नौकरी और सम्मान, तीनों अपने घर पर ही मिलें। अब देखना यह है कि जो भी सरकार बने, क्या वह इस उम्मीद को सच्चाई में बदल पाएगी?
OG