गाय ने खटखटाया कचहरी का दरवाजा, अटल बिहारी वाजपेई ने सुनाया किस्सा!

अटल बिहारी वाजपेई ने गाय और चारे को लेकर एक मज़ेदार किस्सा सुनाया है।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई
अटल बिहारी वाजपेई ने गाय और चारे को लेकर एक मज़ेदार किस्सा सुनाया है।WiKimedia common
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Summary
  • अटल बिहारी वाजपेई ने एक बार जनता को संबोधित करते हुए गाय और चारे से जुड़े किस्से को बताया था।‌

  • किस्सा सुनाने से पहले उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि लालू यादव का ख्याल आया है तो मैं एक किस्सा सुनना चाहता हूं। ‌

  • अटल बिहारी वाजपेई गाय और चारे का किस्से सुनाने के बाद अंत में राजनेता शब्द का इस्तेमाल करते हैं जिससे बिहाकी राजनीति पर सीधा प्रहार नजर आता है। ‌

अग्रिम जमानत के लिए गाय पहुंची कचहरी, अटल बिहारी वाजपेई ने सुनाया मज़ेदार किस्सा

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ( Atal Bihari Vajpayee) ने एक बार जनता को संबोधित करते हुए काफी मज़ेदार किस्सा सुनाया था।‌ अटल बिहारी वाजपेई एक बार जनता को संबोधित करते हुए गाय और चारा से जुड़े किस्से को बताते हैं। ‌ अटल बिहारी वाजपेई कहते हैं कि “लालू जी का नाम आया तो एक किस्सा याद आ गया। दिल्ली में थोड़े दिन पहले एक गाय कचहरी में पहुंच गई। पुलिस वालों ने काफी रोका लेकिन गाय नहीं मानी। गाय ने भी कहा मेरी सुनवाई होनी चाहिए, मुझे मजिस्ट्रेट के पास जाने दो।

पुलिस वाले क्या करते बेचारे,वह भी गाय का दूध पीते हैं। पुलिस वालों ने कहा जाओ, गऊ माता जाओ। गाय पहुंच गई मजिस्ट्रेट के सामने, मजिस्ट्रेट हक्का बक्का रह गया। यह कैसा मुजरिम है, यह गवाह है माजरा क्या है? फिर भी उन्होंने पूछा गैया मैया आपको क्या कहना है? कहना क्या है, बाहर में चर्चा सुनती हूं कि जो भी चारा खाता है वह पकड़ा जाता है। चारा। मुकदमा दायर होता है,जेल भेजा जाता है। और मैं तो चारा ही चारा खाती हूं। अब मुझे डर है कि कहीं पुलिस वाले मुझे पकड़ ना लें। इसीलिए मैं अग्रिम जमानत के लिए आई हूं। Anticipatory Bail के लिए आई हूं। ताकि पुलिस पकड़ने आए तो मैं बता दू कि मैं अग्रिम जमानत पर हूं। चारा मैंने खाया है, मगर मैं जमानत पर हूं। नेता चारा खा रहे हैं।”

हालांकि अटल बिहारी वाजपेई ( Atal Bihari Vajpayee) के गाय और चारे के किस्से से यह साफ हो जाता है कि राजनीति में नेताओं द्वारा कई तरह के भ्रष्टाचार और असंवैधानिक कार्य किए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें कानूनी प्रक्रिया के तौर पर पूरी तरह सजा नहीं दी जाती है जबकि अग्रिम जमानत पर छोड़ दिया जाता है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको अटल बिहारी वाजपई द्वारा गाय और चारे से संबंधित किस्से के बारे में बताया है। यह किस्सा भारतीय राजनीति से जुड़े राजनेताओं पर तंज कसता है।

[RH/PSA]

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