न्यूज़ग्राम हिंदी: बिहार(Bihar) के बाद अब उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन(Uttar Pradesh IAS Association) ने 1994 में गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णय्या की हत्या के दोषी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध किया है। एसोसिएशन ने बिहार सरकार से फैसले पर जल्द से जल्द पुनर्विचार करने की अपील की है। एसोसिएशन ने ट्विटर पर जारी एक बयान में कहा, हम बिहार की राज्य सरकार से राष्ट्रहित में जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की पुरजोर अपील करते हैं।
बिहार सरकार ने 24 अप्रैल को पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह समेत 27 कैदियों की रिहाई की सूचना दी थी, जो पिछले गुरुवार को जेल से छूटे थे।
बयान में कहा गया, उत्तर प्रदेश आईएएस एसोसिएशन बिहार राज्य सरकार द्वारा स्वर्गीय जी. कृष्णया, आईएएस, पूर्व डीएम गोपालगंज की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के फैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करता है।
एसोसिएशन ने किसी भी रिहा कैदी का नाम लिए बिना कहा, ऐसे उत्कृष्ट अधिकारी के हत्यारे को रिहा करने में राज्य सरकार की कार्रवाई भयावह है। सरकार की इस तरह की कार्रवाई से आईएएस अधिकारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
कुछ पूर्व आईएएस अधिकारियों ने भी बिहार सरकार की कार्रवाई की निंदा की है.
केंद्र सरकार के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए पूर्व आईएएस अधिकारी विजय शंकर पांडे ने कहा, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और बिहार के मुख्यमंत्री को फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रकाश सिंह ने एक ट्वीट में कहा, बिहार कैडर की अखिल भारतीय सेवाओं के सभी अधिकारियों को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से राज्य सरकार की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए।
गौरतलब है कि 5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए अपराधी छोटन शुक्ला के अंतिम संस्कार के दौरान कृष्णया को आनंद मोहन के नेतृत्व वाली भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।
आनंद मोहन सिंह को निचली अदालत ने 2007 में मौत की सजा सुनाई थी। एक साल बाद पटना उच्च न्यायालय ने सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
उन्हें गुरुवार को बिहार के सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था।
--आईएएनएस/VS