सहारा ग्रुप के प्रमुख ने ली मुंबई में आखिरी सांस, कैसी रही इनकी स्ट्रगल जर्नी

मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा सुप्रीम कोर्ट ने शहर को निवेशकों के पैसे 15% ब्याज के साथ 24000 करोड रुपए लौटाने का निर्देश दिया लेकिन सहारा ने से नहीं माना।
Sahara Group: सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत राय का मंगलवार को निधन हो गया [Wikimedia Commons]
Sahara Group: सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत राय का मंगलवार को निधन हो गया [Wikimedia Commons]

सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत राय का मंगलवार को निधन हो गया उन्होंने मुंबई में आखिरी सांस ली हाल ही में उन्होंने अपने 75 वा जन्मदिन मनाया था। ऐसा कहा जा रहा है कि काफी समय से वह बीमार थे और उनका मुंबई के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। लेकिन अचानक मंगलवार को सहारा इंडिया ग्रुप को खड़ा करने वाले सुब्रत रॉय इस दुनिया से विदा हो गए उनका पार्थिव शरीर बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएंगा, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। तो चलिए आज हम आपको सुब्रत रॉय और उनकी स्ट्रगल भरी जिंदगी के बारे में विस्तार से बताएंगे।

कैसी रही स्ट्रगल भरी जिंदगी

बिहार के अररिया जिले के रहने वाले सुब्रत रॉय की पढ़ाई लिखाई कोलकाता में हुई और फिर वह गोरखपुर पहुंच गए। साल 1978 में वे अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचा करते थे। सुब्रत राय की एक खासियत थी कि उन्हें सपने बेचने मैं महारत हासिल था। दोस्त के साथ मिलकर उन्होंने चिटफंड कंपनी शुरू की। सिर्फ ₹100 कमाने वाले लोग भी उनके पास ₹20 जमा करते थे देश के कोने तक उनकी स्कीम मशहूर हो गई और लाखों की संख्या में लोग शहर के साथ जुड़ते चले गए।

साल 1978 में वे अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचा करते थे। [Wikimedia Commons]
साल 1978 में वे अपने एक दोस्त के साथ मिलकर स्कूटर पर बिस्कुट और नमकीन बेचा करते थे। [Wikimedia Commons]

1980 में सरकार ने सुब्रत राय की स्कीम पर रोक लगा दी थी। यह वह दौर था जब सहारा ने हाउसिंग डेवलपमेंट सेक्टर में कदम रखा इसके बाद वह एक के बाद एक सेक्टर में उनके पंख फैलते चले गए। रियल स्टेट फाइनेंस इंफ्रास्ट्रक्चर मीडिया एंटरटेनमेंट हेल्थ केयर हॉस्पिटैलिटी रियल एस्टेट रिटेल इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी तक सहारा फैल चुका था। देसी नहीं दुनिया भर में शहर का डंका बजाने लगा 11 साल तक शहर टीम इंडिया का स्पॉन्सर रहा। जैसे-जैसे शहर का कारोबार बढ़ता गया सुब्रत राय की संपत्ति बढ़ती चली गई।

सहारा ने खुब नाम कमाया मगर…

सहारा इतनी नामी कंपनी हो गई थी कि टाइंस माधु सिंह ने सहारा को रेलवे के बाद दूसरी सब सुजाता नौकरी देने वाली कंपनी भी बता दिया था 1100000 से भी कर्मचारी सहारा कहीं सात हैं लेकिन सर किस्मत में ऐसा बाजी पलट दिया की फिर किसी को अंदाज़ तक नहीं था की खुद को सहारा श्री खाने वाले सुब्रत राय के दिन ऐसे फिरेंगे कि उन्हें जेल की हवा खानी पड़ेगी। सहारा ने जब सेबी से आईपीओ के लिए आवेदन किया तो सेबी ने बदले में कंपनी का पूरा बायोडाटा मांग लिया और इसी के साथ शहर के बुरे दिन की शुरुआत हो गई। 2009 में डॉक्यूमेंट को देखते हुए सेबी ने उसमें गड़बड़ी पाई। सहारा पर आरोप लगे ट्यूशन अपने निर्देशकों का पैसा गलत तरीके से इस्तमाल किया।

2009 में डॉक्यूमेंट को देखते हुए सेबी ने उसमें गड़बड़ी पाई। [Wikimedia Commons]
2009 में डॉक्यूमेंट को देखते हुए सेबी ने उसमें गड़बड़ी पाई। [Wikimedia Commons]

SEBI नहीं आरोप लगाया कि सहारा ने अपने दोनों कंपनियों के तीन करोड़ निवेशकों ने 24000 करोड रुपए जुटाए जबकि उनकी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं थी नियमों के उल्लंघन मामले में शहर पर 12000 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा सुप्रीम कोर्ट ने शहर को निवेशकों के पैसे 15% ब्याज के साथ 24000 करोड रुपए लौटाने का निर्देश दिया लेकिन सहारा ने से नहीं माना। सुप्रीम कोर्ट के आदेश करने पर फरवरी 2014 में सुब्रत राय को गिरफ्तार कर लिया गया 2 साल जेल में रहने के बाद वह पैरोल पर बाहर तो आ गए लेकिन इसका नुकसान शहर के निवेशकों को हुआ। उनका पैसा कब मिलेगा इस सवाल का जवाब कोई नहीं दे पा रहा है शहर का आरोप है कि सेबी ने उनके निवेशकों के 25000 करोड रुपए अपने पास रखे हैं ना तो अब तक निवेशकों को पूरे पैसे मिले और न अब सुब्रत रॉय इस दुनिया में रहे।

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