छत्तीसगढ़ में मिली करोड़ों साल पुरानी गुफा, यहीं रहते थें आदिमानव, जानें क्या है खास

इस गुफा में आदि मानव निवास करते थें। एक शोध मे यह साबित भी हो गया है कि करोड़ों वर्ष पुर्व इस गुफा मे मनुष्य रहा करते थें। वैज्ञानिकों का मानना है कि करोड़ों वर्ष पहले यह स्थान जल मग्न हुआ करता था।
Kotumsar Cave : एक खौफनाक गुफा जिसे गोपंसर गुफा या कुटुमसर गुफा कहा जाता है। माना जाता है की इस गुफा में आदि मानव निवास करते थे।(Wikimedia Commons)
Kotumsar Cave : एक खौफनाक गुफा जिसे गोपंसर गुफा या कुटुमसर गुफा कहा जाता है। माना जाता है की इस गुफा में आदि मानव निवास करते थे।(Wikimedia Commons)
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Kotumsar Cave : छत्तीसगढ़ घूमने आने वाले पर्यटकों को अब यहां घूमने में और भी मजा आने वाला है। बस्तर में वन विभाग को 400 मीटर लंबी गुफा मिली है। यह गुफा बहुत खूबसूरत है। बताया जा रहा है कि वन विभाग ने अब इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया है। यहां ट्रैकिंग की भी सुविधा दी जाएगी। एक खौफनाक गुफा जिसे गोपंसर गुफा या कुटुमसर गुफा कहा जाता है। माना जाता है की इस गुफा में आदि मानव निवास करते थे। एक शोध मे यह साबित भी हो गया है कि करोड़ों वर्ष पुर्व इस गुफा मे मनुष्य रहा करते थे। वैज्ञानिकों का मानना है कि करोड़ों वर्ष पहले यह स्थान जल मग्न हुआ करता था।

इस गुफा के अंदर भीषण अधेरा है। इस गुफा का आकार सर्प के समान है। गुफा के अंदर प्राकृतिक रूप से कई कक्ष बने हुऐ है। जिसकी लम्बाई लगभग 21 से 72 मीटर तक चौड़ाई मापी गयी है। इस कुटुमसर गुफा को विश्व कि दूसरी सबसे बड़ी गुफा के रूप मे जाना जाता है। इस गुफा की तुलना अमेरिका कें "कर्त्सवार आफ केंव गुफा" सें तुलना की गई है।

 इस गुफा के अंदर वायु कि कमी के चलते घूटन व गर्मी का अहसास होता है। (Wikimedia Commons)
इस गुफा के अंदर वायु कि कमी के चलते घूटन व गर्मी का अहसास होता है। (Wikimedia Commons)

गुफा में मिलती है अंधी मछली

गुफा के भीतर छोटे - छोटे तालाब है साथ ही गुफा के अंदर छोटी नदी भी बहती रहती है। इस गुफा में अनोखी मछली पाई जाती है जिसे अंधी मछली कहा जाता है इसका वैज्ञानिक नाम कप्पी ओला शंकराई नाम है। गुफा के अंदर अंधकार है जिसके कारण सुर्य की किरण का पहुचना असंभव है। सदियो से अंधेरे मे रहने के कारण आंखों कि उपयोगिता खत्म हो गयी इसी कारण यहां मछली जन्म से ही अंधी पैदा होती है।

क्या है इस गुफा की विशेषता

यह कुटुमसर गुफा जमीन से लगभग 54 फीट नीचे है। वहीं गुफा कि लम्बाई 4500 मीटर है। गुफा के अंदर चुना पत्थर और कार्बनडाईक्साइट तथा पानी कि रसायनिक क्रिया से सतह से लेकर इसकी छतो तक कई प्राकृतिक संरचनाये स्टैलेग्टाइट, स्टेलेगमाइट और ड्रिपस्टोन कि जैसी देखने को मिलती है। इस गुफा के अंदर वायु कि कमी के चलते घूटन व गर्मी का अहसास होता है। पर्यटको को अपने साथ तेज प्रकाश वाली लाईट अपने साथ लेके आना चाहिये।

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