दिल्ली में सभी सरकारी व प्राइवेट स्कूलों में लगभग 44 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों से जब उनके भविष्य के विषय में या उनके सपनों के विषय में पूछा जाता है तो ज्यादातर बच्चों के पास कोई स्पष्ट जबाव नहीं है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हर साल दिल्ली के स्कूलों से लगभग 2.5 लाख बच्चे केवल इस एस्पिरेशन के साथ निकलते है कि उन्हें एक अच्छी नौकरी मिल सके। अगर ये बच्चे हर साल केवल नौकरी ढूंढने के लिए ही निकलेंगे तो नौकरी देने वाला कौन बनेगा। इसका जबाव न सरकारों के पास है और न ही किसी शैक्षिक संस्थान के पास। सिसोदिया ने कहा कि इस सवाल के जबाव के रूप में हमने दिल्ली सरकार के स्कूलों में 'एंत्रप्रेन्योरशिप माइंडसेट करिकुलम' की शुरूआत की है। जहां न केवल एंत्रप्रेन्योरशिप बल्कि एक ग्रोथ माइंडसेट पर भी फोकस किया जाता है। उन्होंने कहा कि एजुकेशन सिस्टम का फोकस हमेशा से सिलेबस पूरा करना, बेहतर रिजल्ट प्राप्त करना रहा है और माइंडसेट को साइड कोर्स की तरह रखा गया है, लेकिन हमारे स्कूलों में इसे बदलने का काम किया गया है।
उन्होंने आगे कहा कि कक्षा 9वीं से 12वीं के बच्चों में EMC के माध्यम से हमने एक ग्रोथ माइंडसेट विकसित करना शुरू किया है। इसका दूसरा हिस्सा है बिजनेस ब्लास्टर्स जहां सरकार द्वारा कक्षा 11वीं-12वीं के बच्चों को सरकार द्वारा इन्वेस्ट करने के लिए अपना बिजनेस आइडियाज शुरू करने के लिए 2-2 हजार रुपए की सीड मनी दी जाती है।
इस प्रोग्राम के पहले साल के टॉप टीमों को दिल्ली सरकार के प्रीमियम उच्च शिक्षा संस्थान DTU, NSUT, IGDTUW, दिल्ली स्किल एंड एंत्रप्रेन्योरशिप यूनिवर्सिटी में विभिन्न कोर्सेज में सीधे दाखिला मिल रहा है। बिजनेस ब्लास्टर्स में बहुत से बच्चों ने अपने शानदार बिजनेस आइडियाज बनाए और कई टीम्स सफल नहीं भी हुई लेकिन इसकी सबसे अच्छी बात ये रही कि इसमें शामिल 3 लाख बच्चों में से हर बच्चे ने सोचना, एनालिसिस करना शुरू कर दिया है, वे रिस्क लेने लगे है। दिल्ली सरकार के मुताबिक भारत में एस्पिरेशन के चक्कर में बच्चों के सोच को लिमिटेड कर दिया जाता है लेकिन बिजनेस ब्लास्टर्स ने इन बाधाओं को तोड़ते हुए बच्चों को बड़ा सोचना और उसके लिए काम करना सिखाया है।
सिसोदिया ने कहा कि हमने जितना सोचा बिजनेस ब्लास्टर ने उससे कही ज्यादा कामयाबी हासिल की और बच्चों के माइंडसेट पर सकारात्मक प्रभाव डाला। बच्चों में डिसिजन मेकिंग, प्लानिंग करना, रिस्क लेने जैसी क्षमता विकसित हुई। इस कार्यक्रम के तहत कई टीम्स ने कुछ हजार की लागत से शुरू किए गए अपने स्टार्ट-अप्स से लाखों का मुनाफा कमाया और बहुत से उद्योगपतियों व एंत्रप्रेन्योर्स ने इन बच्चों के मिनी स्टार्ट-अप्स में लाखों का इन्वेस्ट भी किया।
(आईएएनएस/AV)