एल.एन.जे.पी. की हालत पस्त, स्वास्थ्यकर्मी राजा की सेवा में मस्त

अरविन्द केजरीवाल स्वास्थ्य के मुद्दे पर स्वयं की पार्टी और सरकार का बखान करते थकते ही नहीं है, लेकिन एल.एन.जे.पी. में पड़ताल करने के पश्चात भीतर की परिस्थितियाँ अरविन्द केजरीवाल के दावे के बहुत ही विपरीत निकलीं।
एल.एन.जे.पी. [L.N.J.P.] हॉस्पिटल के भीतर मरीज और उनके  परेशान परिजन।

एल.एन.जे.पी. [L.N.J.P.] हॉस्पिटल के भीतर मरीज और उनके परेशान परिजन।

एल.एन.जे.पी. हॉस्पिटल

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एक कहावत है कि कहीं पत्थर का ऊंचा टीला बना हुआ है, तो कहीं गढ्ढा जरूर हुआ होगा। इसे समझना इतना मुश्किल नहीं है। बहरहाल, इसे समझने के लिए इसकी पड़ताल जरूरी है। ऐसी ही एक पड़ताल हमने दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले हॉस्पिटल, लोक नायक हॉस्पिटल (L.N.J.P.) के अंदर की है। पूरी पड़ताल पेश करने से पहले आपको लोक नायक हॉस्पिटल के बारे में कुछ बातें बताना चाहता हूँ। इसके साथ ही यह भी बताना चाहता हूँ कि आखिर किस प्रकार से दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने सीना ठोंक - ठोंक के यह दावा किया है कि दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था को उन्होंने इतना बेहतरीन बना दिया है कि पूरे देश में ऐसी व्यवस्था कहीं अन्य उपलब्ध नहीं।

<div class="paragraphs"><p>लोक नायक हॉस्पिटल (L.N.J.P. Hospital)</p><p>Pic by - Saurabh Singh</p></div>

लोक नायक हॉस्पिटल (L.N.J.P. Hospital)

Pic by - Saurabh Singh

‘लोक नायक हॉस्पिटल’ एकदम शुरुआत में अपने इसी स्वरूप और नाम के साथ नहीं था, बल्कि केन्द्रीय जेल परिसर के बैरकों के वार्ड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। यह बात 1936 की है जब इस हॉस्पिटल की शुरुआत हुई। हालांकि, इसकी आधारशिला इसके शुरुआत होने से 6 वर्ष पूर्व जनवरी, 1930 में उस वक्त के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड इरविन और उनकी पत्नी के द्वारा रखी गई थी। यह हॉस्पिटल ‘इरविन हॉस्पिटल’ के नाम से जाना जाने लगा। आजादी के बाद के वर्षों में नई इमारतों के निर्माण के साथ – साथ जेल की बैरकों को ध्वस्त कर दिया गया।

इस हॉस्पिटल की शुरुआत 350 बिस्तरों की व्यवस्था के साथ की गई थी। इसका प्रसूति विभाग सबसे पहले शुरू हुआ। इसका नाम नवंबर 1977 में, जयप्रकाश नारायण के सम्मान में 'लोक नायक जयप्रकाश नारायण हॉस्पिटल' कर दिया गया। कुछ समय पश्चात 1989 में, हॉस्पिटल का नाम पुनः छोटा कर के 'लोक नायक हॉस्पिटल' निश्चित किया गया।

दिल्ली की मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे अरविन्द केजरीवाल (Arvind Kejriwal) देश भर में घूम - घूम कर एक भी मौका गवाएं बिना यह गिनवाने से नहीं चूकते कि उन्होंने दिल्ली के हॉस्पिटल्स का काया कल्प बदल दिया है, यानी बिल्कुल तस्वीर पलट दी है और दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले हॉस्पिटल्स का महकमा एकदम दुरुस्त हो चुका है। अरविन्द केजरीवाल इसके साथ ही दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किये गए मोहल्ला क्लिनिक और पॉली क्लिनिक जैसे व्यवस्थाओं का बखान भी बढ़ - चढ़ कर करते हैं। बहरहाल, भीतर से झाँकने पर यह तस्वीर इतनी साफ दिखती नहीं जैसा कि अरविन्द केजरीवाल द्वारा दावा किया जाता है।

लोक नायक हॉस्पिटल (LOK NAYAK HOSPITAL) में पड़ताल करने के पश्चात भीतर की परिस्थितियाँ अरविन्द केजरीवाल के दावे के बहुत ही विपरीत निकलीं। एल.एन.जे.पी. में पड़ताल के दौरान एक तथ्य हमारे हाथ लगा कि हॉस्पिटल में नियुक्त 28 कर्मचारियों और डॉक्टर्स (Medical Staff and Doctors) का ट्रांसफर सरकारी अफसरों और मंत्रियों की सेवा के लिए कर दिया गया है। इन 28 लोगों में से हॉस्पिटल के एक चपरासी का ट्रांसफर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री की सेवा के लिए किया गया है। सोचने की बात है दिल्ली सरकार के मंत्रियों और अफसरों ने उन कर्मचारियों और डॉक्टर्स का ट्रांसफर खुद की सेवा के लिए करवाया है, जोकि मरीजों की देखभाल और उनके उपचार के लिए हॉस्पिटल में नियुक्त किये गए थे। इन्हीं 28 लोगों में से 4 ऐसे डॉक्टर और कर्मचारी भी हैं, जिनका ट्रांसफर दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे पॉली क्लिनिक में कर दिया गया है। इसका साफ मतलब यह निकाला जा सकता है कि पॉली क्लिनिक खोले तो गए, लेकिन उनमें नए और प्रशिक्षित डॉक्टर्स की नियुक्ति ही नहीं हुई और इसी तरह से दिल्ली के सभी सरकारी अस्पतालों से ट्रांसफर कर कर के पॉली क्लिनिक चलाया जा रहा है।

<div class="paragraphs"><p>28 कर्मचारियों और डॉक्टर्स की सूची जिनका&nbsp;ट्रांसफर सरकारी अफसरों और मंत्रियों की सेवा के लिए कर दिया गया।&nbsp;</p></div>

28 कर्मचारियों और डॉक्टर्स की सूची जिनका ट्रांसफर सरकारी अफसरों और मंत्रियों की सेवा के लिए कर दिया गया। 

<div class="paragraphs"><p>28 कर्मचारियों और डॉक्टर्स की सूची जिनका&nbsp;ट्रांसफर सरकारी अफसरों और मंत्रियों की सेवा के लिए कर दिया गया।&nbsp;</p></div>

28 कर्मचारियों और डॉक्टर्स की सूची जिनका ट्रांसफर सरकारी अफसरों और मंत्रियों की सेवा के लिए कर दिया गया। 

लोक नायक हॉस्पिटल के भीतर मरीज (Patients) खुद अपनी ग्लूकोज़ की बोतल पकड़े बैठा हुआ है और ऐसा नजारा आम है। इन मरीजों की देखभाल और इलाज के लिए पहले से ही डॉक्टर्स और कर्मचारियों की संख्या एल.एन.जे.पी. में कम थी, इसके बावजूद यहाँ के 28 डॉक्टर्स और कर्मचारियों का ट्रांसफर दिल्ली सरकार (Delhi Government) के मंत्रियों और अफसरों की सेवा के लिए किया गया। हिंदुस्तान अखबार की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी है, इसके बावजूद यदि इतनी बड़ी संख्या में इन स्वास्थ्यकर्मियों का ट्रांसफर सिर्फ एक हॉस्पिटल से मंत्रियों और अफसरों की सेवा के लिए किया गया है तो यह सामान्य बात तो बिल्कुल नहीं है।

<div class="paragraphs"><p>हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट। दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी है। (Hindustan)</p></div>

हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट। दिल्ली के अस्पतालों में डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की कमी है। (Hindustan)

बीते कुछ दिनों पहले ही विश्व स्वास्थ्य दिवस था। दिल्ली के मुख्यमंत्री विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) के मौके पर दिल्ली (Delhi) की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ी - बड़ी बातें अपने सोशल मीडिया पर कर रहे थे। असल बात यह है कि अरविन्द केजरीवाल स्वास्थ्य के मुद्दे पर स्वयं की पार्टी और सरकार का बखान करते थकते ही नहीं है, लेकिन भीतर से झाँकने पर दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था खोखली और धुंधली दिखाई पड़ती है। दिल्ली की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि ऐसे और कितने सरकारी हॉस्पिटल्स से डॉक्टर्स और कर्मचारियों को सरकार के मंत्रियों और अफसरों की सेवा में लगाया गया है? अरविन्द केजरीवाल को स्वास्थ्य दिवस की बधाई देने से फुर्सत मिल जाए तो हम आशा करते हैं कि वे दिल्ली की सतही स्वास्थ्य व्यवस्था का गुणगान गाने के बजाय, दिल्ली की जनता के लिए और उनके हित में हमारे प्रश्न का जवाब देंगे और साथ ही गढ्ढे में गिरी स्वास्थ्य व्यवस्था के भीतर झाँक कर देखने की हिम्मत दिखाएंगे।

Story by - Saurabh Singh

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