शाबान बुखारी बने जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम, वक्फ बोर्ड से मिलती है इन्हें तनख्वाह

जामा मस्जिद में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कई लोग मौजूद थे। इससे पहले शाबान बुखारी नायब इमाम थे। इस वक्त उनकी उम्र 29 साल है।
Delhi Jama Masjid : दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद का निर्माण 1650 में किया गया था। (Wikimedia Commons)
Delhi Jama Masjid : दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद का निर्माण 1650 में किया गया था। (Wikimedia Commons)

Delhi Jama Masjid : दिल्ली में स्थित जामा मस्जिद का निर्माण 1650 में किया गया था। दिल्ली की जामा मस्जिद के निवर्तमान शाही इमाम, सैयद अहमद बुखारी ने रविवार को अपने बेटे सैयद शाबान बुखारी को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। शाही इमाम का अर्थ होता है राजा की ओर से नियुक्त किया गया इमाम। शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने एक 'दस्तारबंदी' यानी पगड़ी पहनाने की रस्म पूरी की। सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम बने है। जामा मस्जिद में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान कई लोग मौजूद थे। इससे पहले शाबान बुखारी नायब इमाम थे। इस वक्त उनकी उम्र 29 साल है। उनके परिवार ने करीब 13 पीढ़ियों से जामा मस्जिद की अध्यक्षता की है।

कौन हैं शाबान बुखारी

सैयद शाबान बुखारी का जन्म 11 मार्च 1995 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी से सोशल वर्क में मास्टर डिग्री की है। इसके अलावा भी उन्होंने इस्लामी धर्मशास्त्र में आलमियत और फजीलत की है। सैयद शाबान बुखारी ने दिल्ली से इस्लाम की बुनियाद तालीम के साथ ही व्यापक अध्यन मदरसा जामिया अरबिया शम्सुल उलूम की है।

सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम बने है। (Wikimedia Commons)
सैयद शाबान बुखारी जामा मस्जिद के 14वें शाही इमाम बने है। (Wikimedia Commons)

हिंदू लड़की से किया विवाह

शाबान बुखारी ने 13 नवंबर 2015 को गाजियाबाद की एक हिंदू लड़की से शादी की। उनका परिवार शादी को लेकर के राजी नहीं था लेकिन बाद में उनका पूरा परिवार शादी के लिए राजी हो गया है और धूमधाम से उनकी शादी हुई। शादी के बाद 15 नवंबर को महिपालपुर के एक फार्महाउस में दोनों का ग्रैंड रिसेप्शन किया गया। शाबान के फिलहाल 2 बच्चे भी है।

वक्फ बोर्ड से मिलती है तनख्वाह

शाबान को 2014 में नायब इमाम की जिम्मेदारी मिली थी। जिसके बाद से ही वो देश में ही नही बल्कि और विदेशों में धर्म से जुड़ी ट्रेनिंग ले रहे थे। मस्जिदों के इमाम को सैलानी सरकार की तरफ से नहीं बल्कि वक्फ बोर्ड की तरफ से दी जाती है। वक्फ बोर्ड अपनी संपत्तियों से मिलने वाली आए अपने कर्मचारियों और मस्जिद के इमाम को देते हैं। वर्तमान में शाही इमाम की सैलरी 16 से 18 हजार रुपए है।

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