Delhi Ring Rail: यातायात के दौरान जाम की समस्या से जूझ रहे दिल्लीवासीयों के लिए लगभग 35 किलोमीटर लंबा रिंग रेल नेटवर्क एक बेहतर विकल्प बन सकता है। इसके द्वारा लोग कम खर्च में राजधानी के बड़े क्षेत्र में यात्रा कर सकेंगे। फरीदाबाद, पलवल, गाजियाबाद तथा अन्य शहरों से दिल्ली आने जाने वाले यात्रियों के लिए भी यह बेहद सुविधाजनक होगा क्योंकि रिंग रेल पर छोटे स्टेशनों के साथ ही नई दिल्ली एवं हजरत निजामुद्दीन जैसे बड़े स्टेशन भी स्थित हैं। राजधानी में सड़कों पर वाहनों द्वारा लगे जाम की समस्या से निकलने का यह सबसे अच्छा विकल्प है।
रिंग रेल नेटवर्क को विकसित कर इसे एनसीआर के लोगों के लिए उपयोगी बनाने की दिशा में कुछ कदम अवश्य बढ़ाए गए लेकिन केंद्र एवं राज्य सरकार में खटास के कारण अब तक कोई सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आया है। बताया जा रहा है कि रिंग रेल पर मालगाड़ियों का बोझ अधिक होने के कारण अधिक संख्या में पैसेंजर ट्रेनें चलाना संभव नहीं है। इसके लिए सांसदों को अपनी भूमिका निभानी होगी। वह रेल मंत्रालय के सामने इस विषय को मजबूती से रखकर इसमें आने वाली बाधा को दूर करा सकते हैं।
रिंग रेल नेटवर्क पर 10 रुपये न्यूनतम किराया है। 12 रेलवे में न्यूनतम किराया दस रुपये में 35 किलोमीटर लंबी रिंग रेल की यात्रा पूरी की जा सकती है। वहीं, बस एवं मेट्रो से यात्रा करने पर 25 से 60 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। इसके साथ ही 35 किलोमीटर की यात्रा लगभग 90 मिनट में पूरी हो जाती है। राजधानी में जाम के कारण सड़क मार्ग से यात्रा करने में अधिक समय लगता है। रिंग रेल के नजदीक स्थित स्थानों पर कम समय में पहुंचा जा सकता है। ऐसे में पैसे के साथ समय की भी बचत होगी।
वर्ष 2015 में तत्कालीन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने रिंग रेल विकसित करने की आवश्यकता जताई थी। प्रदूषण की समस्या बढ़ने पर वर्ष 2016 में दिल्ली सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री गोपाल राय ने तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु से मिलकर रिंग रेल के विकास की मांग की थी। बजट में भी इसे विकसित करने की घोषणा की गई थी। उसके बाद रेलवे ने एक समिति बनाई थी, परंतु इससे आगे बात नहीं बढ़ी। इसके बाद वर्ष 2018 में दिल्ली के सभी सातों सांसद तत्कालीन रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर रिंग रेल को विकसित करने की मांग की थी परंतु सांसदों ने इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किया।