भारतीय वास्तुकला के बारे में हम सब ही बहुत अधिक जानते हैं। लेकिन हम जो भी जानते हैं वह सभी स्वतंत्र भारत के पहले का है। क्या आपने सोचा है कि आजादी के बाद की कृतियां कौन सी हैं ? आजादी के बाद के वर्षों में कौन सी रोमांचक और अधिक महत्वपूर्ण नवीन भारतीय इमारतें निर्मित हुई है।
दी गई तस्वीर आजादी के बाद बनी सबसे खूबसूरत संरचनाओं में से एक है। यह लेख इसी पर आधारित है।
कमल मंदिर (Lotus Temple)
भारत की राजधानी दिल्ली के नेहरू पैलेस (कालकाजी मंदिर) के पास स्थित लोटस टेंपल को कमल मंदिर या बहाई उपासना मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1986 में हुआ था।
आश्चर्य की बात तो यह है कि इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है । और ना ही यहां किसी प्रकार का धार्मिक कर्मकांड किया जाता है। यहां पर विभिन्न धर्मों से संबंधित विभिन्न पवित्र लेख पढ़े जाते हैं। यह मंदिर कमल की आकृति में बनाया गया है। हमारे देश में कमल के फूल को पवित्रता तथा शांति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसे ईश्वर के अवतार का संकेत भी माना जाता है।
कमल मंदिर किसके द्वारा बनवाया गया?
कमल मंदिर को बहाई धर्म के संस्थापक बहा उल्लाह ने बनवाया था। वास्तुकार फ़रीबर्ज सहबा द्वारा इस मंदिर का स्थापत्य तैयार करने के बाद यह विशाल मंदिर बनाया गया। इस मंदिर में एक सूचना केंद्र है जहां पर जिज्ञासुओं के प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। इस सूचना केंद्र में एक मुख्य सभागार है और दो छोटे-छोटे सभागार भी हैं। सूचना केंद्र में लोगों को मंदिर के बारे में जानकारी दी जाती है। इस मंदिर में एक प्रार्थना सभा भी है। कमल मंदिर में प्रत्येक दिन 15 मिनट के नियमित अंतराल पर प्रार्थना सभा आयोजित की जाती हैं। यह कमल मंदिर सफेद रंग की संगमरमर से बनी इमारत है इसके चारों ओर हरी घास लगी है ,जो इसे शांत और ताजगी से भरपूर बना देती है। इस मंदिर में पैदल मार्ग ,तालाब और एक ग्रीनहाउस भी है। यह मंदिर तैरते हुए कमल जैसा प्रतीत होता है । कमल मंदिर में कंक्रीट से बनी 27 पंखुड़ियां हैं। इसकी वास्तुकला असामान्य है।
यदि आप कमल मंदिर घूमने की योजना बना रहे हैं तो आप सोमवार को छोड़कर किसी भी दिन जा सकते हैं क्योंकि सोमवार को कमल मंदिर बंद रहता है। यह मंदिर अक्टूबर से मार्च के महीनों में सुबह 9:30 से शाम 5:30 तक खुला रहता है। और गर्मी के मौसम में मंदिर सुबह 9:30 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है।
(PT)