दुनिया भर में हर साल नवंबर के माह में तीसरे बुधवार को वर्ल्ड सीओपीडी डे मनाया जाता है। और इसका मुख्य उद्देश्य फेफड़ों के स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक करना है। 21वीं सदी का समय कई अलग-अलग प्रकार की बीमारियां और समस्याओं को खड़ा कर रहा है जिसका एक मत कारण खाने-पीने में बदलाव और अपने शरीर का ध्यान ना रखना हो सकता है। तो चलिए आज हम आपके पूरे विस्तार से बताएंगे इन समस्याओं को कैसे टैकल किया जा सके।
बढ़ते वायु प्रदूषण और स्मोक के कारण सांस से संबंधित कई बीमारियां लोगों को परेशान कर रही है इन्हीं बीमारियों में से एक है सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्सटेकल पलमोनरी डिजीज। यह फेफड़ों से जुड़ी बीमारी है, इस बीमारी में मरीज को सांस लेने में भी परेशानी होती है।
अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज न किया जाए तो कई गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बीमारी से बचने के लिए फेफड़े का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। जब हम सांस लेते हैं तो ऑक्सीजन शरीर के अंदर जाते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं लेकिन सीओपीडी की समस्या में शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड बाहर नहीं निकाल पाती। ऐसे में फेफड़े के वायु मार्ग सिकुड़ जाते हैं और सांस लेने में परेशानी होती है। सीओपीडी के लक्षण में सांस लेने की समस्या, सीने में जकड़न, गहरी सांस में परेशानी, सांस लेने पर घबराहट, कमजोरी होना, श्वसन तंत्र संक्रमण, लगातार वजन घटाना, पैरों में सूजन होना, और फिजिकल एक्टिविटीज के दौरान सांस की दिक्कत होना शामिल है।
सीओपीडी के मरीजों को मानसिक समस्या होने का खतरा सबसे अधिक रहता है इस बीमारी में मरीज काफी डर जाता है। सीओपीडी में सांस लेने में कठिनाई होती है इसके अलावा फिजिकल एक्टिविटी के दौरान भी सांस लेने में दिक्कत आती है।
यह समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालते हैं और व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगता है। सीओपीडी के मरीजों के दिमाग में अक्सर कई तरह की चिंताएं चलती हैं जैसे भविष्य को लेकर चिंता, हमारी बिमारी किस तरह बढ़ेगी और लाइफस्टाइल को प्रभावित करती जाएगी इत्यादि। इसके अलावा सीओपीडी मरीज के सोशल लाइफ को भी प्रभावित करता है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को किसी से बात करने में परेशानी होती है इससे भावनात्मक रूप से मरीज प्रभावित होता है अगर यह समस्या लंबे समय तक रही तो व्यक्ति अपने मानसिक संतुलन भी खो सकता है।