मोटिवेशन और महिला सशक्तिकरण का बेहतर एग्जांपल हैं नम्रता मिश्रा

नम्रता ने बताया कि पिछले 10 साल से वह संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में पोट्री, क्ले और चरखा चलाने की ट्रेनिंग देती है।
नम्रता मिश्रा अपने परिवार के साथ
New Delhi:- आज हम बात करेंगे कल्चरल मिनिस्ट्री के तहत आने वाले गांधी स्मृति संस्थान में ट्रेनर के तौर पर काम करने वाली नम्रता मिश्रा के बारे में।[Wikimedia Commons]
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आज हम बात करेंगे कल्चरल मिनिस्ट्री के तहत आने वाले गांधी स्मृति संस्थान में ट्रेनर के तौर पर काम करने वाली नम्रता मिश्रा (Namrata Mishra) के बारे में। दुनिया भर में अपनी चित्रकला के लिए मशहूर बिहार के मधुबनी (Bihar's Madhubani) इलाके से संबंध रखने वाली नम्रता मिश्रा की जिंदगी तब बदली जब उनके पिता राष्ट्रपति भवन में शेफ के तौर पर काम करने लगे। तो चलिए आज हम नम्रता मिश्रा के मोटिवेशन से भरे जिंदगी के दास्तान को जानते हैं।

राष्ट्रपति भवन से हुई सफ़र की शुरुआत

नम्रता मिश्रा (Namrata Mishra) बताती हैं, कि जब उनके पिता को राष्ट्रपति भवन में नौकरी मिली थी तो उनका पूरा परिवार दिल्ली आ गया था। उनकी पढ़ाई लिखाई भी दिल्ली में ही हुई थी। नम्रता बताती हैं की चुकी उनके पिता शेफ थे तो उन्हें खाना पकाने और खिलाने के तौर तरीकों के बारे में सीखने के लिए कहीं और जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी।

नम्रता मिश्रा के माता-पिता
उनके पिता को राष्ट्रपति भवन में नौकरी मिली थी तो उनका पूरा परिवार दिल्ली आ गया था। [Wikimedia Commons]

वह जब भी निराश होती या उनका मन किसी तरह के उथल-पुथल झेलता तो वह अपना मन खाना बनाने के काम में लगा देती थी। नम्रता बताती हैं कि उनकी जिंदगी की बहुत बड़ी सीख उन्हें राष्ट्रपति भवन से ही मिली उनके पिता उनके टीचर बने और आज वे जो भी हैं वह अपने पिता के कारण ही है।

बापू के विचारों का कर रही है प्रचार

नम्रता ने बताया कि पिछले 10 साल से वह संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में पोट्री, क्ले और चरखा चलाने की ट्रेनिंग देती है। महात्मा गांधी के विचारों को अलग-अलग माध्यम से लोगों तक पहुंचने में उन्हें बहुत दिलचस्पी रहती है।

गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में पोट्री, क्ले और चरखा चलाने की ट्रेनिंग देती है।
नम्रता ने बताया कि पिछले 10 साल से वह संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति में पोट्री, क्ले और चरखा चलाने की ट्रेनिंग देती है। [Wikimedia Commons]

उन्होंने बताया की नई पीढ़ी के बच्चों को पोट्री, क्ले का काम और चरखे से सूट काटना, खादी के कपड़े बनाना उन्हें डिजाइन करना वह सिखाती हैं इसके लिए उन्हें कल्चरल मिनिस्ट्री और समिति की तरफ से अलग-अलग स्कूलों में वर्कशॉप के लिए भी भेजा जाता है। ऐसा करने से वे बापू के विचारों को छोटे-छोटे बच्चों में डेवलप करती हैं जिससे उनकी मेंटल एबिलिटी अच्छी हो जाए। नम्रता ने बताया कि बच्चों को मिट्टी के जरिए धरती से जोड़ना उन्हें बहुत पसंद है कई बच्चे शारीरिक रूप से कमजोर या फिर दिव्यांग भी होते हैं जिन्हें वे ट्रेनिंग देती हैं।[SP]

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