क्या है सपिंड शादियां ? क्यों ऐसे शादियों पर लगाया गया है प्रतिबंध ?

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5(v) के अनुसार, दो हिंदुओं के बीच शादी तब तक अवैध होती है जब तक कि वे एक दूसरे के सपिंड न हों।
Sapinda Marriages : सपिंड शादियां ऐसी शादियां हैं जिनमें दो लोग एक दूसरे के बहुत करीबी रिश्तेदार होते हैं। (Wikimedia Commons)
Sapinda Marriages : सपिंड शादियां ऐसी शादियां हैं जिनमें दो लोग एक दूसरे के बहुत करीबी रिश्तेदार होते हैं। (Wikimedia Commons)

Sapinda Marriages : दिल्ली हाई कोर्ट ने एक महिला की याचिका खारिज कर दी। वह महिला हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के सेक्शन 5(v) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग कर रही थी। यह सेक्शन उन दो हिंदुओं के मध्य शादी को रोकता है जो 'सपिंड' होते हैं, अर्थात सपिंड शादियां ऐसी शादियां हैं जिनमें दो लोग एक दूसरे के बहुत करीबी रिश्तेदार होते हैं। हिंदू धर्म में सपिंड रिश्तेदारी को एक विस्तृत श्रेणी में शामिल किया गया है। जिसमें भाई-बहन, चाचा-भतीजी, मामा-भांजी, फूफी-भतीजा, मौसी-भांजे आदि शामिल हैं। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5(v) के अनुसार, दो हिंदुओं के बीच शादी तब तक अवैध होती है जब तक कि वे एक दूसरे के सपिंड न हों।

क्या नियम है इस अधिनियम के तहत

सपिंड रिश्तेदारी को निर्धारित करने के लिए पिता की तरफ से 5 पीढ़ी ऊपर और माता की तरफ से 3 पीढ़ी ऊपर तक के सभी रिश्तेदार सपिंड होते हैं यदि किसी व्यक्ति के पिता की तरफ से कोई सामान्य पूर्वज है जो माता की तरफ से किसी अन्य व्यक्ति के सामान्य पूर्वज से पहले रहता था, तो वे सपिंड होते हैं। यदि किसी व्यक्ति के पिता की तरफ से कोई सामान्य पूर्वज है जो माता की तरफ से किसी अन्य व्यक्ति के सामान्य पूर्वज से बाद में रहता था, तो वे सपिंड नहीं होते हैं।

इस बंधन को मजबूत बनाने के लिए विवाह के दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ शारीरिक और भावनात्मक रूप से संगत होना चाहिए।  (Wikimedia Commons)
इस बंधन को मजबूत बनाने के लिए विवाह के दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ शारीरिक और भावनात्मक रूप से संगत होना चाहिए। (Wikimedia Commons)

प्रतिबंध के अन्य कारण

सपिंडा विवाह पर प्रतिबंध के कई कारण हैं। एक कारण यह है कि हिंदू धर्म में, विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। इस बंधन को मजबूत बनाने के लिए विवाह के दोनों पक्षों को एक-दूसरे के साथ शारीरिक और भावनात्मक रूप से संगत होना चाहिए। यदि कोई विवाह सपिंड विवाह होने के कारण धारा 5(v) का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है तो इसे शून्य घोषित कर दिया जाएगा। अर्थात विवाह को अमान्य कर दिया जायेगा और ऐसा माना जाएगा जैसे कि यह कभी हुआ ही नहीं।

केवल है एक छूट

इस नियम में एक ही छूट है और वो भी इसी नियम के तहत ही मिलती है। जैसा कि ऊपर बताया गया है, अगर लड़के और लड़की दोनों के समुदाय में सपिंड शादी का रिवाज है, तो वो ऐसी शादी कर सकते हैं।हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 3(a) में रिवाज का जिक्र करते हुए बताया गया है कि एक रिवाज को बहुत लंबे समय से लगातार और बिना किसी बदलाव के मान्यता मिलनी चाहिए।

Related Stories

No stories found.
logo
hindi.newsgram.com