यमुना नदी को कब मिलेगा प्रदूषण से छुटकारा? अब तो यमुना किनारे उपजी सब्जियां भी है जहरीली

पवित्र यमुना नदी भ्रष्टाचार एवं लालच के कारण लगभग मृत होने के कगार पर आ गई है। राजधानी में इसका पानी पीने योग्य तो दूर नहाने के भी लायक नहीं है। इससे पेयजल संकट, भूजल के दूषित होने, पारिस्थितकी तंत्र को नुकसान, दूषित जल से होने वाली कृषि के कारण स्वास्थ्य संबंधित परेशानी सामने आ रही है।
Yamuna River Pollution: पवित्र यमुना नदी भ्रष्टाचार एवं लालच के कारण लगभग मृत होने के कगार पर आ गई है। इसका पानी पीने योग्य तो दूर नहाने के भी लायक नहीं है। (Wikimedia Commons)
Yamuna River Pollution: पवित्र यमुना नदी भ्रष्टाचार एवं लालच के कारण लगभग मृत होने के कगार पर आ गई है। इसका पानी पीने योग्य तो दूर नहाने के भी लायक नहीं है। (Wikimedia Commons)

Yamuna River Pollution: प्रकृति मानव जाति का एक महत्वपूर्ण एवं अभिन्न अंग है लेकिन मानव जाति ही प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है। आपको बता दें कि पवित्र यमुना नदी भ्रष्टाचार एवं लालच के कारण लगभग मृत होने के कगार पर आ गई है। राजधानी में इसका पानी पीने योग्य तो दूर नहाने के भी लायक नहीं है। इससे पेयजल संकट, भूजल के दूषित होने, पारिस्थितकी तंत्र को नुकसान, दूषित जल से होने वाली कृषि के कारण स्वास्थ्य संबंधित परेशानी सामने आ रही है। यदि समय रहते इस नदी को स्वच्छ करने के लिए ठोस प्रयास नहीं उठाए गए, तो एनसीआर के लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। यमुना नदी पल्ला से ओखला बैराज तक 48 किलोमीटर के दायरे में बहती है। वजीराबाद से असगरपुर गांव तक 26 किलोमीटर का हिस्सा नदी की कुल लंबाई का केवल दो प्रतिशत है, लेकिन यह इसके 76 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत यमुना नदी को तीन हिस्सों में बांटा गया है। यमुनोत्री से हथिनीकुंड बैराज तक बिना प्रदूषण वाला, हथिनीकुंड से पल्ला तक मध्यम स्तर का और उससे आगे पल्ला तक बेहद प्रदूषित है।

यहां उपजी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए है हानिकारक

यमुना किनारे उपजी सब्जियां स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह हैं। खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मानक के अनुसार सब्जी में लेड की मात्रा 0.1 पीपीएम से अधिक नहीं होनी चाहिए। यमुना खादर में उपजी सब्जियों में यह 28.06 पीपीएम तक पाई गई है। कैडियम की स्वीकृत मात्रा 0.1 से 0.2 पीपीएम की तुलना में 3.42 पीपीएम और पारा की स्वीकृत मात्रा एक पीपीएम की जगह 139 पीपीएम तक मिलती है। इनके सेवन से याददाश्त संबंधी परेशानी, फेफड़े, मस्तिष्क और पेट के कैंसर सहित स्वास्थ्य संबंधित गंभीर परेशानी हो सकती है। इसके साथ ही यमुना का जल स्तर बढ़ने और सिंचाई में नदी के पानी के उपयोग से तटवर्ती क्षेत्र की मिट्टी में जहर घुल रहा है। इससे भूमि जल भी दूषित हो रहा है और मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो रही है।

नजफगढ़ ड्रेन यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इस ड्रेन में गुरुग्राम से निकलने वाले तीन नालों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है। (Wikimedia Commons)
नजफगढ़ ड्रेन यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इस ड्रेन में गुरुग्राम से निकलने वाले तीन नालों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है। (Wikimedia Commons)

क्या है प्रदूषण का कारण

यमुना नदी में प्रदूषण दिल्ली और हरियाणा दोनों से उत्पन्न होने वाले स्रोतों के कारण हो रहा है। नदी में गिरने वाले नालों से नियमित रूप से गाद नहीं निकालने से प्रदूषण और बढ़ रहा है। नजफगढ़ ड्रेन यमुना में 70 प्रतिशत प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। इस ड्रेन में गुरुग्राम से निकलने वाले तीन नालों से 40 प्रतिशत प्रदूषण होता है इसके साथ ही हरियाणा से बड़ी मात्रा में औद्योगिक कचरा इसमें गिराया जा रहा है।

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