वायु प्रदूषण का कहर फिर बढ़ा, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती

वायु प्रदूषण से जुड़े इन मुद्दों पर विचार करते हुए मंगलवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान सरकारों ने इस पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है।
वायु प्रदूषण:- यह जहरीली हवा दिल्ली के साथ-साथ आसपास के राज्यों को भी काफी प्रभावित करती है [Pixabay]
वायु प्रदूषण:- यह जहरीली हवा दिल्ली के साथ-साथ आसपास के राज्यों को भी काफी प्रभावित करती है [Pixabay]

जैसा कि आप सबको पता है कि जैसे ही ठंड का मौसम आने लगता है वैसे ही वायु प्रदूषण के खतरे भी बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। खास कर दिल्ली जैसे राज्यों में वायु जहरीली होने लगती है। यह जहरीली हवा दिल्ली के साथ-साथ आसपास के राज्यों को भी काफी प्रभावित करती है उनके स्वास्थ्य में भी भीषण बदलाव देखने को मिलता है। इस बार ठंड की शुरुआत में ही उच्चतम न्यायालय ने वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग द्वारा कई उपचारात्मक कदम उठाए लेकिन उसके बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बरकरार रहा। वायु प्रदूषण से जुड़े इन मुद्दों पर विचार करते हुए मंगलवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान सरकारों ने इस पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया है।

क्या कहा न्यायालय ने

न्यायालय ने कहा कि कुछ दशकों पहले यह दिल्ली में सबसे अच्छा वक्त होता था, उसने कहा कि शहर अब बिगड़ी वायु गुणवत्ता से संकट में है और घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो गया है। न्यायमूर्ति एसके कॉल की अध्यक्षता वाले तीन सदस्य पीठ ने पांच राज्यों से एक सप्ताह के भीतर हलफनामे दाखिल करने को कहा। पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा भी शामिल है।

पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य यह बताते हुए एक हालकनामा दाखिल करें कि उन्होंने स्थिति को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं[Wikimedia Commons]
पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य यह बताते हुए एक हालकनामा दाखिल करें कि उन्होंने स्थिति को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं[Wikimedia Commons]

पीठ ने कहा कि संबंधित राज्य यह बताते हुए एक हालकनामा दाखिल करें कि उन्होंने स्थिति को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं हम दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हैं साथ ही न्यायालय ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 7 नवंबर की तारीख भी तय कर दी है।

क्या निर्देश मिले

सर्वोच्च न्यायालय ने सीक्यूएम को समस्या शुरू होने की प्रासंगिक अवधि और वायु गुणवत्ता सूचकांक जैसे मापदंडों और पराली जलाने की घटनाओं की संख्या सहित वर्तमान जमीनी स्थिति का परिणाम एक सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया है। बेंच ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक पराली जलाना है।

 बेंच ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक पराली जलाना है।[Pixabay]
बेंच ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक पराली जलाना है।[Pixabay]

उच्चतम न्यायालय ने पहले दिल्ली तथा उसके आसपास वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग से रिपोर्ट मांगे थे। सीक्यूएम ने दिल्ली में वायु गुणवत्ता बिगड़ने पर 6 अक्टूबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सरकारी प्राधिकारियों से होटल तथा रेस्ता में कोयले के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने और प्रदूषण फैला रहे उद्योगों तथा ताप विद्युत संयंत्रों के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाने का निर्देश दिया था। आपको बता दे की सीक्यूम एक स्वायत्त निकाय है जिसे दिल्ली तथा आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार करने का काम दिया गया था।

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