न्यूज़ग्राम हिंदी: अहमदाबाद(Ahmedabad) के ढोलका शहर में सीवेज लाइन की सफाई के दौरान दम घुटने से दो सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। घटना शनिवार शाम पांच बजे की है। जब कर्मचारी सीवेज लाइन में सफाई के लिए घुसे और कुछ देर बाद बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
मृतक श्रमिकों की पहचान 24 वर्षीय गोपाल पाधर और 32 वर्षीय बीजल पाधर के रूप में हुई है।
ढोलका थाने के एक अधिकारी ने कहा कि मौत का कारण दम घुटना था। ढोलका थाने में ठेकेदार आशिक ठाकोर और जगदीश ठाकोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपों में भारतीय दंड संहिता की धारा 304 और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत गैर-इरादतन हत्या शामिल है।
इससे पहले गुजरात सरकार ने विधानसभा में खुलासा किया था कि पिछले दो सालों में राज्य भर में नालों की सफाई के दौरान दम घुटने से 11 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है।
चौंकाने वाले आंकड़ों के जवाब में, एनजीओ मानव गरिमा ने मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की जिसमें भविष्य में मैनहोल श्रमिकों की मौतों को रोकने के उपाय करने और मृतक श्रमिकों के परिवारों के लिए मुआवजे की मांग की गई है।
एनजीओ का दावा है कि सरकार ने 1993 से 2014 के बीच मारे गए 152 मैनहोल श्रमिकों में से 26 के परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया है।
एनजीओ का कहना है कि हाथ से मैला ढोने वालों के रोजगार पर रोक और उनके पुनर्वास अधिनियम की धारा 7 के बावजूद, जो स्थानीय अधिकारियों या उनकी एजेंसियों को भूमिगत जल निकासी लाइनों या सेप्टिक टैंकों में खतरनाक सीवर सफाई के लिए लोगों को नियुक्त करने से प्रतिबंधित करता है, इस तरह की प्रथाएं कई मौतों का कारण बनती हैं। संगठन ने बताया कि सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 95 कर्मचारियों की मौत से जुड़ी 45 घटनाएं हुई हैं।
--आईएएनएस/VS