भारत के इस गांव का हैं अपना अलग संविधान, यहां दीवार छूना भी मना है

इस गांव का अपना एक अलग संविधान है। यहां के लोगों की अपनी न्यायपालिका , व्यवस्थापिका और कार्यपालिका भी है। गांव के लोगों की अपनी अलग संसद है
Strange Village : यह गांव मलाणा है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के दुर्गम इलाके में स्थित है। (Wikimedia Commons)
Strange Village : यह गांव मलाणा है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के दुर्गम इलाके में स्थित है। (Wikimedia Commons)
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Strange Village : भारतीय संविधान और कानून पूरे देश में लागू होता है लेकिन भारत में ही एक ऐसा गांव है, जहां देश का कानून लागू नहीं होता है। ये गांव किसी पड़ोसी देश की सीमा पर नहीं आता,ना ही केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत आता है। इस गांव का अपना एक अलग संविधान है। यहां के लोगों की अपनी न्यायपालिका , व्यवस्थापिका और कार्यपालिका भी है। गांव के लोगों की अपनी अलग संसद है, जहां उनके द्वारा चयनित सदस्य होते हैं।

यह गांव मलाणा है जो हिमाचल प्रदेश में स्थित है यह हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के दुर्गम इलाके में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए कुल्लू से 45 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है। यहां पहुंचना आसान नहीं है। इस गांव के लिए हिमाचल परिवहन की सिर्फ एक बस ही जाती है, जो कुल्लू से दोपहर तीन बजे रवाना होती है।

गांव की अपनी न्यायपालिका

इस गांव की खुद की न्यायपालिका है, संसद है। जिसमें दो सदन है- पहली ज्योष्ठांग (ऊपरी सदन) और दूसरी कनिष्ठांग (निचला सदन)। ज्येष्ठांग में कुल 11 सदस्य हैं, इनमें से तीन कारदार, गुरु व पुजारी होते हैं, जो कि स्थाई सदस्य हैं। बाकि के आठ सदस्यों को ग्रामीण मतदान करके चयनित करते हैं। संसद भवन के तौर पर यहां एक ऐतिहासिक चौपाल है, जहां सारे विवादों के फैसले होते हैं।

यहां बाहर से आने वाले लोग गांव में ठहर नहीं सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद यात्री मलाणा गांव आते हैं और गांव के बाहर ही टेंट लगाकर रुकते हैं। (Wikimedia Commons)
यहां बाहर से आने वाले लोग गांव में ठहर नहीं सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद यात्री मलाणा गांव आते हैं और गांव के बाहर ही टेंट लगाकर रुकते हैं। (Wikimedia Commons)

नियम में दीवार छूना भी है मना

यहां बाहर से आने वाले लोग गांव में ठहर नहीं सकते हैं, लेकिन इसके बावजूद यात्री मलाणा गांव आते हैं और गांव के बाहर ही टेंट लगाकर रुकते हैं। गांव के कुछ नियम काफी अजीब हैं। इसमें से एक नियम है कि गांव की दीवार को छूने की मनाही है। गांव की बाहरी दीवार को कोई भी बाहर से आने वाला व्यक्ति छू नहीं सकता और न ही पार कर सकता है यदि वह नियम तोड़ते हैं तो उन्हें जुर्माना देना भी पड़ सकता है। मलाणा गांव के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं, जो बहुत ही रहस्यमय है वो इस भाषा को बेहद पवित्र मानते हैं ये भाषा केवल मलाणा में ही बोली जाति है इसके अलावा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती है।

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