Bengaluru Water Crisis : एक समय हुआ करता था जब बेंगलुरु में करीब 262 झीलें और 70 प्रतिशत हरियाली थी। इसी हरियाली के कारण बेंगलुरु को लेक सिटी और गार्डन सिटी कहा जाता था। लेकिन 1973 से लेकर 2020 तक पिछले इतने वर्षो में बेंगलुरु अब जल संकट की कगार पर आ गया है। अब कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के आवास पर भी पानी का टैंकर भेजा जा रहा है। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के घर का बोरवेल सूख गया है। कई इलाकों में तो लोग सड़कों पर उतर गए हैं। यहां तक की टायलेट का उपयोग करने के लिए भी लोग मॉल्स की तरफ जा रहे हैं। बेंगलुरु में जल संकट इतनी भयावह स्थिति में पहुंच गया है कि आम लोग दहशत में हैं।
बेंगलुरु की 262 झीलों में से अब केवल 81 झीले बची हैं, जबकि हरियाली 70 प्रतिशत से सिकुड़कर 3 प्रतिशत पर आ गई है। कर्नाटक में पिछले साल मॉनसून पूरी तरह से फेल रहा इसी का परिमाण भीषण जल संकट सामने आया। कर्नाटक के वर्षाहीन इलाकों का हाल बेहद खराब हैं। डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने कहा कि 'पिछले 30-40 सालों में हमने ऐसा सूखा नहीं देखा है। पहले भी सूखा पड़ता था, लेकिन हमने कभी इतने सारे तालुकाओं को सूखाग्रस्त घोषित नहीं किया' कर्नाटक ने 240 तालुकों में से 223 में सूखा घोषित किया है।
ऐसे तो बेंगलुरु में पानी की पूर्ति कावेरी नदी, बोरवेल और जलाशयो से होती है। कावेरी से बेंगलुरु को 10450 एमएलडी पानी मिल रहा है। बेंगलुरु के अलग अलग जलाशय से 34 हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी उपलब्ध होता है लेकिन अभी यहां का हालात देखकर बच्चों के स्कूल ऑनलाइन कर दिए गए हैं, कई लोग टॉयलेट उपयोग करने के लिए मॉल्स जा रहे हैं। वहीं कर्नाटक सरकार ने स्वीमिंग पूल में पानी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बोर्ड ने कहा है कि आदेश का उल्लंघन करने पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा। इसके साथ ही सीवरेज बोर्ड ने कार वॉश करने, कपड़े धोने और पेड़- पौधों, गमलों में पानी डालने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। बेंगलुरु को 4 जोन में विभाजित किया गया है। इन चार जोन के ये इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। जिसमें एचएसआर लेआउट, बोम्मनहल्ली, होस्करहल्ली, चिक्कापेटे, राजाजी नगर 6 ब्लॉक, पिन्या, बागलगुंटे, बापुजी नगर, केआर पुरम, रामामर्ति नगर, मराठाहल्ली, डीजे हल्ली और वैयालीकवल इलाकों में जल संकट सबसे ज्यादा है।