क्यों देर हो जाता है मानसून को आने में? देर से आने के कारण झेलना पड़ेगा नुकसान

पिछले कई सालों से नार्थ में मानसून का आगमन कुछ देर से ही होता है। वैसे तो पिछले साल मौसम विभाग ने मानसून के उत्तर में तीन से चार दिन देर से आने का अनुमान लगाया था लेकिन उसमें और ज्यादा देर हो गई थी।
Kerala Monsoon : मानसून महासागरों की ओर से चलने वाली तेज हवाओं की दिशा में बदलाव को कहा जाता है। (Wikimedia Commons)
Kerala Monsoon : मानसून महासागरों की ओर से चलने वाली तेज हवाओं की दिशा में बदलाव को कहा जाता है। (Wikimedia Commons)
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Kerala Monsoon: केरल में मानसून ने समय के एक दो दिन पहले ही जमकर बारिश के साथ अपने आने का संदेश दे दिया है। आमतौर पर मानसून वहां से चलकर उत्तर भारत में 26 जून के आसपास पहुंचना चाहिए। मौसम विभाग का मानना है कि मानसूनी हवाओं की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई है, इसलिए ये समय से थोड़ी देर से ही उत्तर भारत में आएगा। देखा जाए तो पिछले कई सालों से नार्थ में मानसून का आगमन कुछ देर से ही होता है। वैसे तो पिछले साल मौसम विभाग ने मानसून के उत्तर में तीन से चार दिन देर से आने का अनुमान लगाया था लेकिन उसमें और ज्यादा देर हो गई थी। तो आइए जानते हैं कि मानसून को आने में क्यों देर हो जाता है और इससे भारत में क्या असर पड़ता है।

क्या है मानसून

मानसून महासागरों की ओर से चलने वाली तेज हवाओं की दिशा में बदलाव को कहा जाता है। यह केवल बारिश ही नहीं करवाता है बल्कि अलग इलाकों में ये सूखा मौसम भी बनाता है। हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से चलने वाली ये तेज हवाएं भारत समेत बांग्लादेश और पाकिस्तान में भारी बारिश कराती है।

हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से चलने वाली ये तेज हवाएं भारत समेत बांग्लादेश और पाकिस्तान में भारी बारिश कराती है। (Wikimedia Commons)
हिंद महासागर और अरब सागर की ओर से चलने वाली ये तेज हवाएं भारत समेत बांग्लादेश और पाकिस्तान में भारी बारिश कराती है। (Wikimedia Commons)

ग्रीष्म और शीत मानसून

आमतौर पर भारत में मानसून 1 जून से 15 सितंबर तक 45 दिनों तक सक्रिय रहता है। ग्रीष्म और शीत मानसून में बंटी ठंडे से गर्म इलाकों की ओर बढ़ने वाली ये मौसमी हवा दक्षिण एशिया के मौसम को बनाती है। ग्रीष्म मानसून तेज हवाओं के साथ होने वाली बारिश है, जो अप्रैल से सितंबर के बीच होती है। ठंड खत्म होने पर दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर से सूखी नम हवा भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार की ओर बहने लगती है। इससे मौसम में नमी आ जाती है और हल्की से लेकर तेज बारिश होती है।

कैसे पड़ जाता है सुखा

हिंद और अरब महासागर से बहने वाली हवाएं हिमालय से होती हुई भारत के दक्षिण-पश्चिम से टकराकर बारिश करती हैं और शीत मानसून अक्टूबर से अप्रैल तक रहता है। उत्तर-पूर्वी मानसून को शीत मानसून कहते हैं। इसमें हवाएं मैदान से सागर की ओर चलती हैं। ये बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर और अरब सागर को पार करते हुए आती हैं। दक्षिणपूर्वी एशिया में शीत मानसून कमजोर रहता है। ये हवाएं हिमालय से टकारकर रुक जाती हैं और इनकी नमी भी घट जाती है। इससे भारत में इस दौरान मौसम गर्म रहता है। यही मानसून कुछ इलाकों में सूखे का कारण भी बनता है।

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