केरल के मंदिरों में ओलियंडर का फूल चढ़ाने पर लगाया गया रोक

भारत के तमाम इलाकों में यह पौधा पाया जाता है। केरल में इस पौधे को अरली और कनाविरम के नाम से जाना जाता है। वहां राजमार्गों और समुद्र तटों के किनारे बड़ी संख्या में इसे लगाया गया है।
Oleander ban in Temple : ओलियंडर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में उगने वाला एक पौधा है (Wikimedia Commons)
Oleander ban in Temple : ओलियंडर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में उगने वाला एक पौधा है (Wikimedia Commons)
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Oleander ban in Temple : केरल सरकार द्वारा नियंत्रित दो मंदिर न्यास ने राज्य के मंदिरों में ओलियंडर (करवीर या कनेर) चढ़ाने पर रोक लगा दी है। ये दोनों बोर्ड राज्य में 2,500 से अधिक मंदिरों का प्रबंधन करते हैं। दरअसल, केरल में 30 अप्रैल को 24 साल की नर्स सूर्या सुरेंद्रन की संदिग्ध मौत हो गई। जांच में पता लगा कि 28 अप्रैल के सुबह उन्होंने फोन पर बात करते हुए उन्होंने गलती से अपने घर में लगे ओलियंडर से कुछ पत्ते तोड़कर चबा लिये। उन्हें पता ही नहीं था कि ये जहरीला है। थोड़ी देर बाद उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी और उल्टियां हुईं। उसी दिन वह कोच्चि एयरपोर्ट पर गिर पड़ीं और कुछ दिनों बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई।

अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि वह ओलियंडर की पत्तियां चबा ली थी। इसके बाद में पोस्टमार्टम हुआ तो पता लगा कि सुरेंद्रन की मौत ओलियंडर के जहर के कारण हुई।

सूखा भी झेल लेता है ये पौधा

ओलियंडर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय इलाकों में उगने वाला एक पौधा है। इस पौधे की खास बात यह है कि यह सूखा भी झेल लेता है। इसे उगाने के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है। भारत के तमाम इलाकों में यह पौधा पाया जाता है। केरल में इस पौधे को अरली और कनाविरम के नाम से जाना जाता है। वहां राजमार्गों और समुद्र तटों के किनारे बड़ी संख्या में इसे लगाया गया है। ओलियंडर कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक में अलग-अलग रंग का फूल होता है।

 केरल में इस पौधे को अरली और कनाविरम के नाम से जाना जाता है। (Wikimedia Commons)
केरल में इस पौधे को अरली और कनाविरम के नाम से जाना जाता है। (Wikimedia Commons)

औषधीय गुणों से भरपूर

आयुर्वेदिक फार्माकोपिया ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, ओलियंडर का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर बताया गया है। इसकी जड़, छाल से तैयार तेल का उपयोग त्वचा रोगों के इलाज के लिए किया जा सकता है। ओलियंडर का जिक्र बृहत्रयी, निघंटस और अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है। चरक संहिता में भी इसका जिक्र है। ये कुष्ठ रोग सहित गंभीर प्रकृति की पुराने त्वचा रोगों से निपटने में लाभदायक है।

जानलेवा भी है ओलियंडर

ऐसे तो ओलियंडर का तमाम आयुर्वेदिक दवाओं में इस्तेमाल किया जाता रहा है लेकिन सदियों से इसके जहरीले होने की भी जानकारी है। शोधकर्ता शैनन डी लैंगफोर्ड और पॉल जे बूर ने लिखा है कि इस पौधे का इस्तेमाल कभी लोग सुसाइड के लिए करते थे। इसके अलावा, ओलियंडर को जलाने से निकलने वाले धुंआ भी नशीला या जहरीला हो सकता है।

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