6th Schedule : सोनम वांगचुक लद्दाख के मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट के अंशन को 14 दिन बीत चुके हैं। सोनम वांगचुक के साथ - साथ 1500 लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे। उन्होंने एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने बताया कि 250 लोग और उनके समर्थन में रात को भूखे सोए। सोनम वांगचुक के इस अंशन के पीछे का वजह लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करवाना है, जो प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार देगा। उन्होंने बताया कि यह अंशन जरूरत पड़ने पर आगे भी बढ़ाया जा सकता है।
सोनम वांगचुक सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी करते हुए भ्रम को दूर करने की कोशिश की है। उन्होंने बताया कि छठी अनुसूची का उद्देश सिर्फ बाहरी लोगों को ही रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण के दृष्टि से संवेदनशील इलाके या संस्कृतियां-जनजातियां सभी को स्थानीय लोगों से भी बचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जहां तक उद्योग की बात है तो जो इलाके संवेदनशील नहीं हैं, उन्हें इकोनॉमिक जोन बनाया जा सकता है, ताकि उद्योग लगे, देश- दुनिया से निवेश हो।
असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम छठी अनुसूची में पहले से शामिल हैं, जो आदिवासी समुदाय को विशेष सुरक्षा प्रदान करता है। अब ये सभी लोग मिलकर लद्दाख को भी संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। यहां धारा 370 खत्म करने के बाद लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है और जम्मू कश्मीर में विधानसभा के जैसे यहां कोई स्थानीय काउंसिल नहीं है। छठी अनुसूची में शामिल हो जाने के बाद लद्दाख के लोग स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषदें बना सकेंगे, जिसमें शामिल लोग स्थानीय स्तर पर काम करेंगे। इसके अलावा उनकी केंद्रीय स्तर पर लोकसभा में दो सीट और राज्यसभा में भी प्रतिनिधित्व की मांग है।
केंद्र सरकार ने धारा 371 के तहत लद्दाख के लिए स्पेशल स्टेटस देने की पेशकश की है। आपको बता दें कि यह जम्मू कश्मीर में दशकों तक लागू रहे 370 जैसा नहीं है। यह धारा 371 देश के कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में भी लागू हैं। यह पूरे राज्य में लागू नहीं किया जाता है। यह जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर लागू किया जाता है, जिससे वहां के पर्यावरण, जनजातीय और संस्कृतियों को संरक्षण दिया जा सके।