Unique Rituals of Bundelkhand: अक्षय तृतीया साल की सबसे शुभ तिथियों में गिनी जाती है। इस दिन सोने-चांदी की खरीदारी करने वालों को मां लक्ष्मी से सुख-संपन्नता का वरदान मिलता है। इस साल अक्षय तृतीया का त्योहार 10 मई को मनाया जाएगा। लेकिन बुंदेलखंड इलाके में अक्षय तृतीया पर सालों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है, जहां अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर छेवले के पेड़ के नीचे मिट्टी के गुड्डा गुड़ियों का विवाह किया जाता है। इसका धार्मिक महत्व भी है। कहा जाता है कि कुम्हारों के लिए भी यह फायदेमंद है।
बुंदेलखंड में इस दिन वटवृक्ष के नीचे मिट्टी के गुड्डा-गुड़िया की शादी की परंपरा है। लोग पकवान बनाकर, मिट्टी के घड़ों में पानी भरकर पूजन करेंगे। छोटी छोटी बच्चियां अपनी सहेलियों के साथ गुड्डा-गुड़िया का विवाह रचाएंगी। इसके बाद मंगल गीत के साथ बारात और फेरे की रस्में की जाती हैं।
अक्षय तृतीया के 4 दिन पहले से बाजार में इनकी बिक्री शुरू हो गई। इसके साथ ही मिट्टी के घड़ों की बिक्री में तेजी आई हैं। कई परिवारों में बच्चे के साथ माता-पिता भी गुड्डे-गुड्डियों के विवाह की रस्में उसी तरह संपन्न कराएंगे, जैसे वास्तव में विवाह हो रहा हो। बच्चे पेड़ की टहनियों को मंडपनुमा बनाकर गुडे-गुड्डियों को शादी के बंधन में बांधकर भेंट करने घर-घर जाएंगे।
बीते दो दिनों से सूरज आग बरसा रहा है, जिससे लोगो का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे मुश्किल हालातों में भी मिट्टी को नया रूप देकर तरह तरह के खिलौने और बर्तन बनाने वाले कुम्हारों का इस चिलचिलाती गर्मी से बुरा हाल है। आपको बता दें कि इतनी तेज गर्मी के बावजूद धर्म प्रेमी लोग घरों से बाहर निकलकर मिट्टी से बनी गुड्डा-गुड़ियों को बाकायदा खरीद रहे हैं। जिस कारण दुकानदारों की खूब बिक्री भी हो रही हैं। इस बार बाजारों में नए डिजाइन वाला गुड्डा गुड़िया भी देखने को मिल रहा है।