TATA का स्वाभिमान बना भारत की शान, जानें ताज होटल की अनसुनी कहानी!

1903 में बना मुंबई का ताजमहल पैलेस होटल उस दौर में लग्ज़री का पर्याय बन गया। जहां एक कमरे का किराया सिर्फ 6 रुपए था, लेकिन उस कमरे में AC, बाथटब और समुद्र का नज़ारा तक मिलता था। यह होटल भारत का पहला 5-स्टार होटल बना और आज भी भारतीय आतिथ्य और आत्मसम्मान की पहचान बना हुआ है।
भारत की ज़मीन पर खड़ा ताज होटल सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्वदेशी गौरव की जीती-जागती मिसाल है। [Sora AI]
भारत की ज़मीन पर खड़ा ताज होटल सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्वदेशी गौरव की जीती-जागती मिसाल है। [Sora AI]
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भारत की ज़मीन पर खड़ा ताज होटल सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्वदेशी गौरव की जीती-जागती मिसाल है। 122 साल पहले जब अंग्रेजों का शासन था, तब भारतीयों को कई प्रतिष्ठित जगहों में घुसने की अनुमति नहीं थी। चाहें कोई भारतीय पैसे वाला हो या गरीब उसका भारतीय होना ही अंग्रेजों के किसी भी चीज से उसे दूर कर देता था। एक ऐसा ही अपमान हुआ था जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata was insulted) के साथ, जब उन्हें एक अंग्रेज़ों के होटल में प्रवेश से रोक दिया गया। लेकिन उन्होंने इसका जवाब गुस्से से नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक कदम से दिया, उन्होंने खुद का एक ऐसा होटल बनाने की ठानी जो न सिर्फ़ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी भव्यता और मेहमाननवाज़ी के लिए मशहूर हो गया।

1903 में बना मुंबई का ताजमहल पैलेस होटल उस दौर में लग्ज़री का पर्याय बन गया। जहां एक कमरे का किराया सिर्फ 6 रुपए था, [X]
1903 में बना मुंबई का ताजमहल पैलेस होटल उस दौर में लग्ज़री का पर्याय बन गया। जहां एक कमरे का किराया सिर्फ 6 रुपए था, [X]

1903 में बना मुंबई का ताजमहल पैलेस होटल उस दौर में लग्ज़री का पर्याय बन गया। जहां एक कमरे का किराया सिर्फ 6 रुपए था, लेकिन उस कमरे में AC, बाथटब और समुद्र का नज़ारा तक मिलता था। यह होटल भारत का पहला 5-स्टार होटल बना और आज भी भारतीय आतिथ्य और आत्मसम्मान की पहचान बना हुआ है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे उस प्रेरक कहानी को, जिसने ताज को सिर्फ़ एक होटल नहीं, बल्कि भारतीय गौरव का प्रतीक बना दिया।

वो अपमान जिसने जन्म दिया ताजमहल पैलेस को

1900 के दशक की शुरुआत में भारत पर अंग्रेज़ों का राज था और समाज में गोरों और भारतीयों के बीच भारी भेदभाव किया जाता था। अंग्रेज़ों के लिए खास होटल, क्लब और संस्थाएं थीं, जिनमें भारतीयों को अंदर जाने की अनुमति नहीं होती थी, चाहे वो कितने ही शिक्षित, प्रतिष्ठित या अमीर क्यों न हों। इसी दौरान एक दिन जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata), जो उस समय भारत के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक थे, मुंबई के मशहूर होटल Watson’s Hotel (आज का Esplanade Mansion) पहुँचे। यह होटल अंग्रेज़ों के लिए आरक्षित था, और बाहर एक बोर्ड टंगा था “Dogs and Indians Not Allowed” (“कुत्तों और भारतीयों का प्रवेश वर्जित है”)।

1900 के दशक की शुरुआत में भारत पर अंग्रेज़ों का राज था और समाज में गोरों और भारतीयों के बीच भारी भेदभाव किया जाता था। [X]
1900 के दशक की शुरुआत में भारत पर अंग्रेज़ों का राज था और समाज में गोरों और भारतीयों के बीच भारी भेदभाव किया जाता था। [X]

यह बात जानकर जमशेदजी को न केवल गहरा दुख हुआ, बल्कि आत्मसम्मान को ठेस भी पहुँची। उन्होंने सवाल किया “क्या हम अपने ही देश में, अपने ही पैसों से, अपमान सहेंगे?” लेकिन जमशेदजी गुस्से में जवाब देने वालों में से नहीं थे। उन्होंने उस दिन ठान लिया कि वे भारत का ऐसा भव्य और शानदार होटल बनाएंगे, जो Watson’s Hotel से कहीं बेहतर होगा और जहाँ भारतीयों को सम्मान मिलेगा। यहीं से शुरू हुआ था ताजमहल पैलेस होटल का सपना।

ताज होटल बनने की राह में आई चुनौतियाँ

जब जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) ने अपमान के बाद ठान लिया कि वे भारत में ऐसा भव्य होटल बनाएंगे जो अंग्रेज़ों के होटल से कहीं बेहतर होगा, तब यह सपना आसान नहीं था। उस समय भारत में लग्ज़री होटल की परिकल्पना ही बहुत बड़ी बात थी। लोगों ने उनका मज़ाक तक उड़ाया कौन आएगा एक भारतीय द्वारा बनाए गए फाइव-स्टार होटल में रहने? सबसे पहली चुनौती थी उचित जगह का चुनाव। मुंबई के कोलाबा इलाके में गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway Of India) के पास जो जगह उन्होंने चुनी, वहां पहले मछुआरे रहते थे और उसे व्यवसायिक क्षेत्र नहीं माना जाता था। लेकिन जमशेदजी (Jamshedji Tata) की दूरदृष्टि ने वहाँ भविष्य देखा।

जब जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) ने अपमान के बाद ठान लिया कि वे भारत में ऐसा भव्य होटल बनाएंगे जो अंग्रेज़ों के होटल से कहीं बेहतर होगा [X]
जब जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) ने अपमान के बाद ठान लिया कि वे भारत में ऐसा भव्य होटल बनाएंगे जो अंग्रेज़ों के होटल से कहीं बेहतर होगा [X]

दूसरी चुनौती थी तकनीकी ज्ञान और संसाधनों की कमी। भारत में तब न तो पर्याप्त आर्किटेक्ट थे, न ही आधुनिक निर्माण तकनीक। उन्होंने इंग्लैंड से आर्किटेक्ट बुलवाए, दुनिया के कोनों से सामग्री मंगाई, जैसे जर्मनी से लिफ्ट, बेल्जियम से शीशे और इंग्लैंड से फर्नीचर। इसके अलावा सामाजिक विरोध भी था, लोगों को भरोसा नहीं था कि कोई भारतीय इतना भव्य होटल बना सकता है। लेकिन जमशेदजी ने हार नहीं मानी, और एक सपना, संघर्षों को पार करते हुए, भारत की शान बन गया ताजमहल पैलेस होटल।

 जमशेदजी ने हार नहीं मानी, और एक सपना, संघर्षों को पार करते हुए, भारत की शान बन गया ताजमहल पैलेस होटल। [X]
जमशेदजी ने हार नहीं मानी, और एक सपना, संघर्षों को पार करते हुए, भारत की शान बन गया ताजमहल पैलेस होटल। [X]

क्या थी ताज होटल की ख़ासियत ?

जब जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) ने ताजमहल पैलेस होटल बनाने का सपना देखा, तो उन्होंने सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत की शान खड़ी करने की ठान ली थी। साल 1902 में जब यह होटल तैयार हुआ, तो उस समय यह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि एशिया के सबसे शानदार होटलों में से एक बन गया।मुंबई के ताज होटल की नींव वर्ष 1898 में जमशेद जी टाटा के द्वारा रखी गई थी। इसके निर्माण में कुल 4 वर्ष का समय लगा था और 16 दिसंबर 1902 को पहली बार ताज होटल आम जनता के लिए खोला गया था।

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1903 में ताज होटल पूरी मुंबई में पहली ऐसी इमारत थी, जिसमे बिजली की सुविधा थी। ताज होटल की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें उस दौर की सभी आधुनिक सुविधाएं मौजूद थीं, जो उस समय भारत में किसी ने सोची भी नहीं थी। यह भारत का पहला होटल था जिसमें बिजली, लिफ्ट, पंखे, और सर्विस बेल लगी थी। इतना ही नहीं, ताज होटल वो पहला होटल था जिसमें हर कमरे में बाथरूम था, जबकि उस समय लोग सामूहिक बाथरूम इस्तेमाल करते थे। ताज होटल में इस्तेमाल हुआ फर्नीचर इंग्लैंड से मंगवाया गया था, शीशे बेल्जियम से और लिफ्ट जर्मनी से मंगाई गई थी।

1903 में ताज होटल पूरी मुंबई में पहली ऐसी इमारत थी, जिसमे बिजली की सुविधा थी। [Wikimedia Commons]
1903 में ताज होटल पूरी मुंबई में पहली ऐसी इमारत थी, जिसमे बिजली की सुविधा थी। [Wikimedia Commons]

होटल के रसोईघर में फ्रेंच और यूरोपियन शेफ्स को नियुक्त किया गया, ताकि वहां आने वाले विदेशी मेहमानों को इंटरनेशनल स्वाद मिल सके। इस होटल की एक और खास बात थी कि यह समुद्र के सामने बना था, जिससे यहां से अरब सागर का नज़ारा दिखता था। ताज होटल सिर्फ एक इमारत नहीं था, बल्कि यह उस भारतीय स्वाभिमान का प्रतीक बना, जिसने अंग्रेजों के बनाए भेदभावपूर्ण नियमों को तोड़ा और दुनिया को दिखाया कि भारत भी सबसे बेहतरीन बना सकता है।

ताजमहल पैलेस होटल सिर्फ एक आलीशान इमारत नहीं, बल्कि यह भारतीय आत्मसम्मान, स्वाभिमान और दूरदृष्टि का प्रतीक है। जमशेदजी टाटा ने जब अंग्रेजों के भेदभाव का सामना किया, तो उन्होंने पलटवार करने के बजाय कुछ ऐसा रचा, जिसने इतिहास बना दिया। ताज होटल सिर्फ अंग्रेजों को जवाब नहीं था, यह पूरे भारत को एक संदेश था कि हम खुद को किसी से कम नहीं समझते। 1903 में बना यह होटल न केवल भारत का पहला लग्ज़री होटल था, बल्कि यह भारत के गौरव और आतिथ्य-संस्कृति का प्रतीक बन गया। आज भी ताज होटल न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर में मेहमाननवाज़ी और क्लास की मिसाल है। जमशेदजी टाटा का यह सपना आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाता है कि अपमान का जवाब गुस्से से नहीं, कुछ ऐसा कर के दो, जो समय को पीछे छोड़ दे और इतिहास रच दे। [Rh/SP]

भारत की ज़मीन पर खड़ा ताज होटल सिर्फ़ एक इमारत नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और स्वदेशी गौरव की जीती-जागती मिसाल है। [Sora AI]
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