राजस्थान (Rajasthan) में आदिवासी क्षेत्रों के साथ-साथ गैर-आदिवासी क्षेत्रों में भी दलितों के बीच बौद्ध और ईसाई धर्म में धर्मांतरण की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसने एक कानून बनाने की मांग को जन्म दे दिया है। हाल ही में भरतपुर में 11 जोड़ों को हिंदू देवी-देवताओं की पूजा से खुद को दूर रखने की शपथ दिलाई गई।
इस आयोजन में भरतपुर के कुम्हेर कस्बे में संत रविदास सेवा समिति द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 जोड़ों का विवाह कराया गया। शादी से पहले सभी को बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया गया और सभी विवाहित जोड़ों को हिंदू धर्म त्यागने और बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ दिलाई गई।
इस दौरान वहां मौजूद सभी जोड़ों को हिंदू (Hindu) देवी-देवताओं को न मानने और उनकी पूजा न करने की शपथ दिलाई गई। सभी ने शपथ ली: मैं हिंदू भगवान और ब्रह्मा, विष्णु और महेश को नहीं मानता।
शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हिंदू धर्म छोड़ने की बात कहकर बौद्ध धर्म की शपथ दिलाई गई। लेकिन प्रशासन को घटना की भनक तक नहीं लगी
इससे पहले राजस्थान के बारां जिले में लगभग 250 दलितों को कथित रूप से बौद्ध धर्म में परिवर्तित किया गया था। इन लोगों ने बेथली नदी में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों और तस्वीरों का विसर्जन किया और इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि अक्टूबर में अलवर में एक जोड़े ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि उनके माता-पिता, जो पहले दूसरे धर्म में परिवर्तित हो गए थे, उन पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डाला जा रहा और उन्हें अपने भगवान की पूजा करने से रोका जा रहा।
पुलिस अधीक्षक तेजस्विनी गौतम ने कहा, एक जोड़े ने अपने ही माता-पिता के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जा रहा है और उन्हें अपने देवताओं की पूजा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
शिकायतकर्ता सोनू ने कहा कि उसके माता-पिता ने करीब दो साल पहले ईसाई धर्म (Christianity) अपना लिया था और उन्होंने उन्हें (दंपत्ति को) भी धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया।
उन्होंने कहा, मेरे परिवार के कुछ सदस्य, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था, जब हम भगवान से प्रार्थना करते हैं तो हमारा विरोध करते हैं। वे हमारे देवताओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ भी करते हैं और हमें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करते हैं। हम हिंदू रीति-रिवाजों के साथ रहना चाहते हैं, लेकिन वे हमें हिंदू धर्म का पालन न करने के लिए कहकर समस्या पैदा करते हैं।
इस बीच विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) के जिलाध्यक्ष दिलीप मोदी ने आरोप लगाया कि उक्त परिवार के माता-पिता ने धर्मांतरण नहीं करने पर बहिष्कार करने की धमकी दी।
उन्होंने कहा, यहां इस परिवार के बारे में विश्व हिंदू परिषद के संज्ञान में एक मामला आया, जहां माता-पिता अपने बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए कह रहे थे। हालांकि एक ही परिवार में अन्य सदस्य ईसाई धर्म का पालन करते हैं। जब बच्चे अपने देवताओं की पूजा करते हैं, तो वे फोटो को फाड़ देते हैं। देवताओं की प्रार्थना करने से उन्हें रोकते हैं। वे उन्हें घर पर पूजा नहीं करने के लिए कहते हैं।
मोदी ने कहा, वे उन्हें अपने साथ 25 लोगों का धर्मांतरण करने के लिए कहते हैं और अगर वे ईसाई धर्म अपनाने से इनकार करते हैं तो बहिष्कार की धमकी देते हैं।
उन्होंने दावा किया कि माता-पिता ने समाज में एक कड़ी बनाई और आरोप लगाया कि उन्होंने अन्य लोगों को भी धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया।
मोदी ने कहा, यह एक तरह का रैकेट है और उन्हें ऊपर से सुरक्षा मिली हुई है। उन्हें धन मिलता है और हिंदुओं की संख्या कम करने का लक्ष्य है।
चिंता का एक अन्य क्षेत्र बांसवाड़ा है, रमेश (बदला हुआ नाम) ने कहा, यहां कई अनियंत्रित धर्मांतरण हो रहे हैं। आदिवासियों को लालच दिया जाता है क्योंकि उनके पास शिक्षा की कमी है और वे गरीब हैं। बांसवाड़ा में, 440 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें अब लगभग 80 हैं चर्च और 10 साल पहले वे सिर्फ चार से सात थे।
नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा, इससे पहले, इस जिले में गिनती के ईसाई थे, अब 60 पंचायतों में बहुमत है और सात सरपंच बन गए हैं। यह एक अबुझ सवाल बना हुआ है।
इनकी धर्मातरण की प्रक्रिया भी अलग होती है। इन लोगों को घुटने भर पानी में खड़े होने के लिए कहा जाता है और पानी में शपथ दिलाई जाती है कि वे हिंदू धर्म का पालन नहीं करेंगे। जिन्होंने जल में संकल्प लिया है वे कभी भी अपने मूल धर्म में वापस नहीं आते हैं। हालांकि पानी में शपथ लेने से पहले इन लोगों के अपने समुदाय में वापस आने की संभावना होती है।
यह पूछे जाने पर कि यह धर्मांतरण क्यों हो रहा, उन्होंने कहा, नए धर्म में उनके स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा और अन्य बुनियादी ढांचे के संबंध में उनका पूरा ध्यान रखा जाता है।
यहां यह बताना जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जबरन धर्मांतरण की प्रथा को 'बेहद गंभीर' मुद्दा करार दिया और केंद्र सरकार को इस प्रथा को रोकने के लिए कदम उठाने और गंभीर प्रयास करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह कहते हुए चेतावनी भी दी कि अगर जबरन धर्मांतरण की प्रथा को नहीं रोका गया तो बहुत मुश्किल स्थिति पैदा हो सकती है।
इस बीच विहिप (VHP) के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने अवैध धर्म परिवर्तन को धर्म के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा करार दिया। उन्होंने केंद्र सरकार से इस संबंध में जल्द कानून लाने का अनुरोध किया।
भरतपुर के परिप्रेक्ष्य में बोलते हुए प्रदेश के मंत्री प्रताप खाचरियावास ने कहा, 'अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सभी पार्टियों से बात करें और ऐसा बिल लाएं जिससे धर्म के नाम पर किसी का अपमान न हो।'
आईएएनएस/RS