Amitabh Bachchan in Lok sabha election : लोकसभा चुनाव के दौरान कभी गम्भीर तो कभी कुछ ऐसी मजेदार घटनाएं घटती हैं, जो सालों तक लोगों को याद रह जाती हैं। इन घटनाओं में कभी नेताओं ने कठिन परिस्थितियों में भी चुनाव प्रचार किया तो कभी संसाधनों की कमी के बावजूद भी मतदाताओं से मिलकर जिताने की अपील की। वो चमगादड़ों के शोर पर पंडित नेहरू जी का 'कीप साइलेंस' कहना या बिजली चले जाने के बाद टार्च जलाकर इंदिरा गांधी का जनता के बीच जाकर भाषण देना। ये सभी मजेदार घटनाएं लोगों को आज तक याद है। लेकिन आज हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बताएंगे, जो लोक सभा चुनाव 1984 में घटी थी।
दरहसल, इलाहाबाद सीट से बॉलीवुड के प्रसिद्ध महानायक अमिताभ बच्चन को कांग्रेस के तरफ से टिकट मिला। उस समय उनके प्रतिद्वंद्वी भारतीय लोकदल के दिग्गज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा थे। इस चुनाव में बहुगुणा को अमिताभ बच्चन के सामने बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। दरअसल, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कंधे पर कांग्रेस का सारा भार आ गया था इसलिए राजीव गांधी ने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद सीट से राजनीति के मैदान में उतार दिया।
बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को कौन नहीं जानता था, बच्चे, बूढ़े या जवान सभी उनके दीवाने थे ऐसे में वे जहां भी चुनाव प्रचार के लिए जाते, लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती थी। उस समय बैलेट पेपर के जरिये मतदान होता था। जब मतगणना हुई तो अधिकारियों ने देखा की महिला मतदाताओं ने बैलेट पेपर पर लिपस्टिक की छाप भी छोड़ी थी। ऐसे करीब 4,000 मतों को अवैध घोषित कर दिया गया था परंतु इसके बाद भी अमिताभ बच्चन ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय लोकदल के दग्गिज नेता हेमवती नंदन बहुगुणा को 1,09,666 के मुकाबले 2,97,461 से हराया।
ऐसे तो हेमवती नंदन बहुगुणा लोगों के लिए बहुत से काम किए, परंतु उस समय वे जनसभाओं में लोगों को जिंदगी भर के अपने रिश्ते और काम की याद दिलाते रहे। लेकिन, अमिताभ बच्चन के ग्लैमर ने हेमवती नंदन बहुगुणा के किए कराए पर पानी फेर दिया।
बॉलीवुड के महानायक की जीत बेशक धमाकेदार थी। लेकिन, उनकी राजनीतिक में बहुत कम दिनों तक ही रहे। उन्होंने लोकसभा सदस्यता से कार्यकाल पूरा होने के पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन्होंने यह कहते हुए राजनीति को अलविदा कह दिया कि राजनीति में कदम रखना एक गलती थी।