राम मंदिर में स्थापित किया गया सोने का रामचरितमानस, हर पन्ने पर चढ़ी सोने की परत
Golden Ramayan : चैत्र नवरात्रि के पहले दिन अयोध्या स्थित श्रीराम मंदिर के गर्भ गृह में सोने की रामायण स्थापित कर दी गई है। इस गोल्ड प्लेटेड ग्रंथ के पन्नों का रंग सुनहरा हैं, जो दिखने में बहुत खूबसूरत हैं। भक्त अब रामलला के साथ सोने की रामायण के दर्शन भी कर सकेंगे। इस रामायण को बनाने पर लगभग पांच करोड़ रुपये का खर्च आया है। यह पैसा मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने दान किया है। आइए जानते हैं कौन हैं ये सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन, जिन्होंने अपने जीवन भर की कमाई रामलला के नाम कर दी। सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन और उनकी पत्नी सरस्वती ने काफी दिनों से श्री रामलला को स्वर्णाक्षरों वाली रामायण अर्पित करने का मन बनाया था। इस संकल्प के साथ दोनों ने ताम्रपत्रों पर सोने के अक्षरों से रामायण लिखवा दी।
कौन हैं सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन
1970 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन ने स्वर्ण रामायण बनाने के लिए अपना जीवन भर का पैसा राम जन्मभूमि मंदिर ट्रस्ट को दान करने का फैसला किया था। सुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणन बेहद धार्मिक हैं। दरअसल, वह भगवान को समर्पित नौकरशाहों के परिवार से आते हैं। उनके पिता एल सुब्रमण्यम भी एक आईएएस अधिकारी थे और भारत सरकार के सचिव रहे थे। उनकी मां ने उनका नाम लक्ष्मी नारायण रखा था, जो उन्हें दिल्ली के बिड़ला मंदिर के भगवान लक्ष्मी नारायण का आशीर्वाद मानती थीं।
हर पन्ने पर चढ़ी सोने की परत
सोने की रामायण को मंदिर के गर्भगृह में रामलला की मूर्ति से 15 फीट दूर पत्थर के आसन पर रखा गया है। इसके शीर्ष पर चांदी से बना राम का पट्टाभिषेक है। रामायण का वजन 1.5 क्विंटल से ज्यादा है। तांबे से बना इसका प्रत्येक पृष्ठ 14 गुणा 12 इंच का है। हर पन्ने पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ी है। इन पर राम चरित मानस के छंद अंकित हैं। रामायण के 500 पृष्ठों पर 10,902 छंद हैं। प्रत्येत पन्नों पर 14 गेज के 12 इंच की 3 किलोग्राम तांबे प्लेट का भी उपयोग किया गया है। इसे बनाने में 151 किलो तांबे और तीन से चार किलो सोने का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के पुजारी संतोष कुमार तिवारी ने बताया कि स्वर्ण रामायण को गर्भगृह में राम लला के पास स्थापित किया गया है।