न्यूज़ग्राम हिंदी: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) परिसर के अंदर एक आवारा कुत्ते के हमले में दो रेजिडेंट डॉक्टर और तीन अन्य घायल हो गए। एक साल में उत्तर प्रदेश की राजधानी में कुत्तों के हमले का यह 16वां बड़ा मामला है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने लखनऊ नगर निगम को सूचित किया, जिसने परिसर में एक टीम भेजी और पाया कि कुत्ते की मृत्यु हो गई थी।
हालांकि मौत का कारण अज्ञात है, अधिकारियों ने कहा कि कुत्ता रेबीज से पीड़ित था।
केजीएमयू के अधिकारियों ने कहा कि परिसर में रेडियोलॉजी विभाग के बाहर लोगों पर कुत्ते ने अचानक हमला कर दिया और दो रेजिडेंट डॉक्टरों, दो पैरामेडिकल स्टाफ और एक मरीज के परिचारक को काट लिया।
चिकित्सकर्मी सुषमा यादव और संजय गुप्ता को अन्य कर्मचारियों ने बचाया।
सुषमा यादव ने संवाददाताओं से कहा, मैं रेडियो डायग्नोस्टिक विभाग से बाहर आ रही थी, तभी एक आवारा कुत्ता आया और मेरे दाहिने पैर पर काट लिया। मैं चिल्लाई, लेकिन इसने फिर से मेरे दाहिने हाथ पर हमला कर दिया।
उरके दाहिने पैर में दो इंच लंबा खुला घाव था, जबकि संजय गुप्ता के बाएं पैर में एक इंच का घाव था।
केजीएमयू के प्रवक्ता सुधीर सिंह ने कहा, 'घटना के बाद मैंने एलएमसी को कुत्ते को पकड़ने के लिए कहा, लेकिन टीम के आने से पहले ही वह मरा हुआ मिला।'
एलएमसी के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिनव वर्मा ने कहा, कुत्ता रेबीज से पीड़ित था। यह बीमारी कुत्तों को आक्रामक बना देती है और वे संक्रमित होने के एक सप्ताह के भीतर मर जाते हैं।
शहर के पशुचिकित्सक ने भी कहा कि रेबीज ने कुत्ते को बेचैन, आक्रामक और खूंखार बना दिया था।
पशु चिकित्सक डॉ. रजनीश चंद्रा ने कहा, पीड़ितों को रेबीज के लिए एंटीबॉडी के साथ-साथ एंटी-रेबीज वैक्सीन देने की जरूरत है, क्योंकि मनुष्यों में वायरस सीधे तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है, इससे पक्षाघात या मृत्यु हो जाती है।
--आईएएनएस/VS