क्या ताजमहल पहले तेजोलिंग महादेव मंदिर था? आगरा कोर्ट पहुंचा ये मामला

ताज महल मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था यह उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है
Taj Mahal described as Tejoling Mahadev Temple : ताज महल का निर्माण 1632 ई. में शुरू हुआ और 1648 ई. में पूरा हुआ। इसमें मस्जिद, गेस्ट हाउस और बाहरी प्रांगण और मठ भी है। (Wikimedia Commons)
Taj Mahal described as Tejoling Mahadev Temple : ताज महल का निर्माण 1632 ई. में शुरू हुआ और 1648 ई. में पूरा हुआ। इसमें मस्जिद, गेस्ट हाउस और बाहरी प्रांगण और मठ भी है। (Wikimedia Commons)
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Taj Mahal described as Tejoling Mahadev Temple : बचपन से हम किताबों में यही पढ़ते और सुनते आए है की ताज महल मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था यह उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र में यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है, जिसका निर्माण 1632 ई. में शुरू हुआ और 1648 ई. में पूरा हुआ। इसमें मस्जिद, गेस्ट हाउस और बाहरी प्रांगण और मठ भी है। लेकिन ताजमहल को एक बार फिर से तेजोलिंग महादेव मंदिर बताने का दावा किया गया है।

ताजमहल को तेजोलिंग महादेव मंदिर बताते हुए सिविल जज जूनियर डिवीजन शिखा सिंह की अदालत में वाद दाखिल किया गया है। वाद में भगवान तेजो महादेव, योगेश्वर श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट, क्षेत्रीय शक्तिपीठ विकास ट्रस्ट और अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह वादी है। प्रतिवादी के तौर पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक और अधीक्षक पुरातत्वविद, उत्तर प्रदेश पर्यटन के महानिदेशक को बनाया गया है।आपको बता दें इस मामले में अगली सुनवाई की 9 अप्रैल तय की गई है।

ताजमहल को तेजोलिंग महादेव मंदिर बताते हुए अदालत में वाद दाखिल किया गया है। (Wikimedia Commons)
ताजमहल को तेजोलिंग महादेव मंदिर बताते हुए अदालत में वाद दाखिल किया गया है। (Wikimedia Commons)

वाद के पहले जुटाए गए कई सबूत

अधिवक्ता अजय प्रताप ने बताया है कि 1 जनवरी को वाद दायर किया था। न्यायालय ने धारा 80 (1) (सिविल प्रक्रिया संहिता) की कार्रवाई पूरी करने को कहा था। विपक्षियों को भी धारा 80(1) के तहत नोटिस भेजे गए थे। इसकी दो महीने की समय सीमा बीतने के बाद वाद दाखिल किया गया है। वाद दाखिल करने से पहले कई अहम सबूत जुटाए हैं इसके साथ आरटीआई का सहारा भी लिया है। तब जाकर वाद दाखिल किया है।

आरटीआई ने किया सहायता

अधिवक्ता अजय प्रताप ने बताया कि वर्ष 2023 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सूचना का अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई थी। एएसआई ने बताया कि इसके लिए ताजमहल की वेबसाइट और संबंधित पुस्तकों को पढ़ सकते हैं। इसके बाद उन्होंने बाबरनामा, हुमायूं नामा ,रॉयल एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल, ASI के बुलेटिन ,एपीग्राफिका इंडिका, विश्वकर्मा प्रकाश,पुराण पढ़े। उनके माध्यम से यह बताया जा सकते हैं कि ताजमहल का अस्तित्व शाहजहां से पूर्व का है। यह मूल रूप से तेजो लिंग महादेव का मंदिर है जिसे तेजो महादेव कहते हैं। अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी।

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