झांसी अपनी अनोखी और अनूठी परंपराओं के लिए मशहूर है। ऐसा ही एक अनोखी परंपरा रावण वध की है जी हां झांसी के कस्बे में दशहरा के 15 दिन के बाद रावण दहन की परंपरा है इस मौके पर एक भव्य रावण का दरबार लगाया जाता है और इस कार्यक्रम को देखने के लिए आसपास के कई गांव के लोगों की भीड़ भी उमड़ती है यहां भव्य राम रावण युद्ध रावण वध कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है। तो चलिए विस्तार से हम आपको झांसी के इस कस्बे के बारे में बताते हैं जहां रावण दहन के लिए एक अलग ही परंपरा का पालन किया जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है की परंपरा यहां लंबे समय से चली आ रही है। झांसी के इस कस्बे में काफी पहले से रावण को दशहरा के 15 दिन के बाद ही जलाया जाता है। यहां दशहरे के बाद रामलीला की शुरुआत होती है और सभी लोग इस रावण वध कार्यक्रम को देख सके इसलिए इसका आयोजन भी दशहरे के बाद ही किया जाता है।
अंतिम दिन जो कार्यक्रम होता है उसमें बुंदेलखंड की सभी लोग परंपराएं देखने को मिलते हैं। इसके साथ ही अलग-अलग देवताओं की झांकियां देखने को मिलती हैं मनिया और दिवारी जैसी परंपरा यहां होती हैं इसको देखने के लिए आसपास के जिले से भी लोग आते हैं। यहां के लोगों का कहना है की दशहरा के वह 15 दिन बड़े ही त्यौहार की तरह मनाया जाता है काफी लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हो जाती है रामलीला देखने में और रावण वध देखने में भी खूब आनंद आता है।
स्थानीय निवासी शंकर लाल बताते हैं कि यहां का रावण वध काफी प्रसिद्ध है यह दीपावली के पहले रावण वध किया जाता है जिससे दूर-दूर से आकर लोग देख सकते हैं।
या परंपरा बहुत समय से चली आ रही है और इस आयोजन में रावण वध के अलावा महाकाली दरबार राम दरबार लंगूर वीर नरसिंह दरबार पुतला भट्टी खूनी भट्टी रावण दरबार 64 योगिनी काल भैरव समिति अनेक तरह के प्रदर्शन और स्वांग भी होते हैं। यहां आयोजन में हिंदू मुस्लिम दोनों ही समुदाय के लोग मिलकर इस आयोजन को करते हैं और रामलीला में भी मुस्लिम समुदाय के लोग हिस्सा निभाते हैं। यहां हिंदू मुस्लिम में एकता देखने को मिलती है और हर साल बड़े ही धूमधाम से रावण वध का यह समय मनाया जाता है।