Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहां ज्ञान-विज्ञान हो, धर्म-अध्यात्म हो या फिर गीत-संगीत हो, यहां की सभी प्रतिभा को उच्च कोटि का दर्जा प्राप्त है। यहां के लोकनृत्यों की सराहना केवल देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में भी होती है। यहां हर क्षेत्र के अपने नृत्य देखने को मिलेंगे जो अलग-अलग त्योहार या अवसरों पर किए जाते हैं। जैसे - ब्रज का चरकुला, रासलीला, बुंदेलखंड की राई, डंडा-पाई, ख्याल, पूर्वांचल का धोबिया और कजरी नृत्य सरीखे ऐसे अनेक लोकनृत्य है जिसे देखने के बाद दर्शक दिवाने हो जाते हैं इसलिए उत्तर प्रदेश अपनी सांस्कृतिक कला पर गर्व करता है। तो आइए इन नृत्यों के बारे में विस्तार से जानें।
भगवान श्रीकृष्ण और राधारानी की जन्मस्थली के रूप में विश्वविख्यात ब्रज क्षेत्र के नृत्य अत्यंत मनमोहक होते हैं। यहां चरकुला नृत्य में मनोरंजन, कला, अध्यात्म और परंपरा का समावेश होता है। इस नृत्य में घूंघट में महिलाएं अपने सिर पर बड़े गोलाकार लकड़ी के पिरामिडों को संतुलित करके भगवान कृष्ण के गीतों पर नृत्य करती हैं। प्रत्येक पिरामिड पर दीपक जलते रहते है। यह विशेष रूप से होली के बाद किए जाते हैं।
रासलीला या कृष्णलीला में युवा और बालक कृष्ण की गतिविधियों का मंचन होता है। जन्माष्टमी के मौके पर कान्हा की इन सारी अठखेलियों को एक धागे में पिरोकर यानी उनको नाटकीय रूप देकर रासलीला खेली जाती है। इसीलिए जन्माष्टमी की तैयारियों में श्रीकृष्ण की रासलीला का आनन्द केवल मथुरा, वृंदावन तक नहीं बल्कि पूरे देश में छा जाता है।
ब्रज क्षेत्र का मयूर नृत्य भी काफी आकर्षक होता है। मयूर नृत्य में मोर के पंखों से बनी एक विशेष प्रकार की पोशाक पहनी जाती है। यह नृत्य मुख्य रूप से राधा-कृष्ण के प्रेम पर आधारित होती है। यहां प्रमुख नृत्यों में झूला नृत्य का नाम भी आता हैं। यह खासतौर पर सावन में किया जाता है, जिसमें बालक और बालिकाएं दोनों भाग लेते हैं। मंदिरों में झूले डालकर भी यह नृत्य किया जाता है।
कथक उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है। कथक शब्द का अर्थ कथा को नृत्य रूप में प्रस्तुत करना है। कहा जाता है कि महाभारत में भी कथक का वर्णन है कथक से तो सभी भली भांति परिचित है लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में फिरंगियों को धूल चटाने वाले वीरों की धरती बुंदेलखंड में लोकनृत्यों की बुलंदी देखी जा सकती है। यहां पुत्र जन्मोत्सव पर ख्याल नृत्य और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राई नृत्य काफी मनमोहक होता है। ख्याल नृत्य में रंगीन कागजों तथा बांसों की मदद से मंदिर बनाकर फिर उसे सिर पर रखकर नृत्य किया जाता है।