

भारत में अक्सर कोई ना कोई ऐसा राज्य सामने आ ही जाता है जिससे जुड़े घटनाएं चौंका देती हैं लेकिन आज हम आपको कोई घटना के बारे में नहीं बताएंगे बल्कि कैसे गांव के बारे में बताएंगे जहां पिछले 35 वर्षों से एक भी फिर को दर्ज नहीं किया गया। इस गांव में अगर कोई भी आपसी विवाद भी होता है तो उसको गांव के पंचों द्वारा बैठकर उसका निवारण कर लिया जाता है गलती करने वाले व्यक्ति से माफी मंगवाने के बाद दोनों पक्ष एक दूसरे से गले मिलते हैं और विवाद खत्म हो जाता है। तो चलिए पूरे विस्तार से 21वीं सदी के इस राम राज्य के बारे में आपको बताते हैं।
शाहजहांपुर का एक गांव बिजली खेड़ा के पंचायत नियामतपुर में पिछले 35 वर्षों से कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं किया गया। इस ग्राम पंचायत की कुल आबादी 2000 है जिनमें से 1100 लोग ग्राम प्रधान चुने के लिए मतदान करते हैं पूर्व ग्राम प्रधान और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके ग्राम पंचायत के लोग आप इस मेलजोल और सद्भाव के साथ रहते हैं।
अगर किसी बात को लेकर कोई विवाद हो भी जाए तो कोई भी पक्ष थाने नहीं जाता बल्कि गांव में ही बैठकर पंचों द्वारा फैसला कर दिया जाता है जिसकी गलती सामने आती है वह पांचों के सामने दूसरे पक्ष से माफी मांग लेता है और गले मिलकर विवाद को खत्म कर देता है। वीरेंद्र पाल सिंह का कहना है कि 1988 से लेकर आज तक किसी भी ग्रामीण ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई।
इस गांव के लोग एकजुट बनाए रखते हैं। वीरेंद्र पाल सिंह यादव ने बताया कि इस गांव में सभी लोग आपसी मेलजोल और सद्भाव के साथ रहते हैं यहां गांव में एक ही जगह होली मनाई जाती है सभी लोग एक साथ होली में आखेट डालने के लिए जाते हैं इसके अलावा होली के मौके पर कोई भी ग्रामीण कोई नशा नहीं करता होली बड़े ही भव्य तरीके से मनाया जाता है गांव में सभी लोग एक दूसरे के यहां होली मिलने जाते हैं।
उन्होंने बताया कि समय-समय पर ग्रामीणों के साथ बैठकर चौपाल लगाते हैं इस दौरान वह लगातार लोगों से अपील करते हैं कि सभी लोग आपसी सद्भाव के साथ मिलकर रहे ताकि गांव में खुशी हाली और तरक्की बनी रहे। वीरेंद्र पाल सिंह यादव ने बताया कि 1988 में जब वह पहली बार निर्विरोध ग्राम प्रधान चुने गए थे इस दौरान उन्होंने ठान लिया था कि गांव में राम राज्य स्थापित करना है वीरेंद्र पाल सिंह यादव का कहना है कि वह इसमें कामयाब भी हुए हैं रामराज्य को स्थापित करने के लिए ग्रामीणों का भी खास सहयोग रहा है उनका कहना है कि अगर गांव में कोई समस्या होती है तो वह गांव का मुखिया होने के नाते जो भी फैसला पंचों के साथ मिलकर करते हैं गांव के लोग उसको सर माथे मानते हैं। [Rh]