Uttarkashi tunnel rescue - उत्तरकाशी में खुशी की लहर! पूरे 17 दिनों तक फंसे 41 मजदूरों को सिलक्यारा टनल से बाहर निकाल लिया गया है। सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए देशभर में दुआएं की जा रही थी। यहां 8 राज्यों से मजदूर आए हुए थे उत्तराखंड से 2, हिमाचल प्रदेश से 1 , उत्तर प्रदेश से 8, बिहार से 5, पश्चिम बंगाल से 3, असम से 2 ,ओडिशा से 5 तथा झारखंड से सबसे ज्यादा 15 मजदूर फसे हुए थे ।
हमेशा की तरह 12 नवंबर को मजदूर यहां काम कर रहे थे। अचानक सुबह 5:30 बजे भूस्खलन होने लगा जिसमे कई मजदूर बाहर निकल गए लेकिन फिर अचानक टनल का 60 मीटर हिस्सा धंस गया और 41 मजदूर सुरंग के अंदर ही फंसे रह गए । ये मजदूर सिलक्यारा छोर से अंदर गए थे। सुरंग का 2340 मीटर का हिस्सा तैयार हो चुका है। इसी हिस्से में भूस्खलन के बाद पहाड़ का मलबा 200 मीटर की दूरी पर गिरा हुआ था। मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में था यानी मजदूर 260 मीटर के ऊपर फंसे हुए थे। इन मजदूरों के पीछे जाने के लिए दो किलोमीटर का इलाका था। 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में ये लोग आ जा सकते थे।
बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया था। इस टीम के पास खास पहियों वाले स्ट्रेचर हैं इन्हीं स्ट्रेचर पर लेटाकर रेस्क्यू पाइप के जरिए मजदूरों को बाहर निकाला गया। सरकार ने मजदूरों तक ऑक्सीजन, दवा , खाना, पानी तथा फोन भी भिजवाया ताकि वह अपने घरवालों से बात कर सके । शनिवार, 26 नवंबर को मजदूरों के पास गेम खेलने के लिए मोबाइल भी भेजे गए थे जिससे वे तनावमुक्त रहे।
रैट माइनर्स 800MM के पाइप में घुसकर ड्रिलिंग की। ये बारी-बारी से पाइप के अंदर जाते, फिर हाथ के सहारे छोटे फावड़े से खुदाई करते थे। ट्राली से एक बार में तकरीबन 2.5 क्विंटल मलबा लेकर बाहर आते थे। पाइप के अंदर इन सबके पास बचाव के लिए ऑक्सीजन मास्क, आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष चश्मा और हवा के लिए एक ब्लोअर भी मौजूद रहता था। रैट होल माइनिंग नाम की प्रकिया का इस्तेमाल आमतौर पर कोयले की माइनिंग में खूब होता रहा है लेकिन रैट होल माइनिंग काफी खतरनाक काम है।