एक सब इंस्पेक्टर से बॉलीवुड तक का सफर जाने राजकुमार की ये कहानी

राजकुमार का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 8 अक्टूबर 1926 को एक मध्यम वर्गीय कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमार मुंबई के महिमा पुलिस स्टेशन में एक सब इंस्पेक्टर की तरह काम कर रहे थे।
बॉलीवुड:- अभी हाल ही में राजकुमार जी की बर्थ एनिवर्सरी को सेलिब्रेट किया गया जो 8 अक्टूबर को था।[Wikimedia Commons]
बॉलीवुड:- अभी हाल ही में राजकुमार जी की बर्थ एनिवर्सरी को सेलिब्रेट किया गया जो 8 अक्टूबर को था।[Wikimedia Commons]

अभी हाल ही में राजकुमार जी की बर्थ एनिवर्सरी को सेलिब्रेट किया गया जो 8 अक्टूबर को था। राजकुमार जी एक मशहूर कलाकार होने के साथ-साथ अपने अभिनय से लाखों लोगों के दिलों पर राज करते हैं। संवादायगी के बेताज बादशाह कुलभूषण पंडित उर्फ राजकुमार का नाम फिल्म जगत की आकाशगंगा में ऐसे ध्रुव तारे की तरह है जिन्होंने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिलों पर राज किया। राजकुमार का जन्म पाकिस्तान के बलूचिस्तान में 8 अक्टूबर 1926 को एक मध्यम वर्गीय कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद राजकुमार मुंबई के महिमा पुलिस स्टेशन में एक सब इंस्पेक्टर की तरह काम कर रहे थे। तो चलिए आज आपको इस सब इंस्पेक्टर के फिल्मों में आने की कहानी बताते हैं।

कैसे आए फ़िल्मों में

सुदर्शन घटना कुछ ऐसी थी की राजकुमार जी जिस पुलिस थाने में सब इंस्पेक्टर का काम कर रहे थे मुंबई के उसे थाने में अक्सर बड़े-बड़े फिल्म स्टार फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का आना-जाना लगा रहता था। एक बार पुलिस स्टेशन में फिल्म निर्माता कुछ जरूरी काम के लिए आए हुए थे और वह राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए।और उन्होंने राजकुमार से अपनी फिल्म शाही बाजार में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की फूल स्टाफ राजकुमार सिपाही की बात सुनकर पहले ही अभिनेता बनने का मन बना चुके थे इसलिए उन्होंने तुरंत ही अपनी सब इंस्पेक्टर की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और निर्माता की पेशकश स्वीकार कर ली। 

काफ़ी स्ट्रगल करना पड़ा

अब जैसा कि हमने आपको बताया की राजकुमार जी ने सब इंस्पेक्टर की नौकरी छोड़ दी थी अब हुआ कुछ ऐसा की फिल्म शाही बाजार को बनने में काफी समय लगने लगा और वहीं दूसरी तरफ राजकुमार जी को अपना जीवन यापन करने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था नौकरी तो उनके पास थी नहीं तो उनके पास पैसे भी नहीं हुआ करते थे।

 शाही बाजार की असफलता के बाद राजकुमार के तमाम रिश्तेदार यह कहने लगे कि तुम्हारा चेहरा फिल्म के लिए उपयुक्त नहीं है [Wikimedia Commons]
शाही बाजार की असफलता के बाद राजकुमार के तमाम रिश्तेदार यह कहने लगे कि तुम्हारा चेहरा फिल्म के लिए उपयुक्त नहीं है [Wikimedia Commons]

लेकिन साल 1952 में रिलीज फिल्म रंगीली में एक छोटी सी भूमिका निभाने का उन्हें अवसर प्राप्त हुआ लेकिन आपको बता दें कि या फिल्म रंगीली सिनेमा घरों में कब लगी कब गई किसी को पता ना चला इसी बीच उनकी फिल्म शाही बाजार भी रिलीज हुई। जो बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाए। शाही बाजार की असफलता के बाद राजकुमार के तमाम रिश्तेदार यह कहने लगे कि तुम्हारा चेहरा फिल्म के लिए उपयुक्त नहीं है और कुछ लोग कहने लगे कि तुम खलनायक बन सकते हो साल 1952 से 1957 तक राजकुमार फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए लगातार संघर्ष करने लगे। रंगीली के बाद उन्हें जो भी भूमिका मिली राजकुमार उसे स्वीकार करते चले गए। इसी बीच उन्होंने अनमोल सहारा अवसर घमंड नीलमणि और कृष्ण सुदामा जैसी कई फिल्मों में अभी नहीं किया लेकिन इनमें से कोई भी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल नहीं हुई।

धमाकेदार कमबैक

काफी समय तक स्ट्रगल भरी जिंदगी जीने के बाद 1957 में रिलीज फिल्म मदर इंडिया में राजकुमार गांव के एक किसान की छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए थे हालांकि यह फिल्म पूरी तरह अभिनेत्री नरगिस पर केंद्रित थी फिर भी वह अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब हुए।

1957 में रिलीज फिल्म मदर इंडिया में राजकुमार गांव के एक किसान की छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए थे[Wikimedia Commons]
1957 में रिलीज फिल्म मदर इंडिया में राजकुमार गांव के एक किसान की छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए थे[Wikimedia Commons]

इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी मिली और फिल्म की सफलता के बाद वह अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए। 1959 में रिलीज फिल्म पैगाम में उनके सामने हिंदी फिल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन राजकुमारी यहां भी अपनी सशक्त भूमिका के जरिए दर्शकों की बाबा ही लूटने में सफल रहे इसके बाद दिल अपना प्रीत पराई घर आना गोदान दिल एक मंदिर और दूध का चांद जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए वह दर्शकों के बीच अपने अभिनय की दात जमाते हुए ऐसी स्थिति में पहुंच गए जहां वह अपनी भूमिका स्वयं चुन सकते थे।। 

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