सर्दियों का मौसम आते हैं वायु प्रदूषण का खतरा भी आसमान छूने लगता है। खासकर कुछ ऐसे शहरों में जहां जनसंख्या बहुत अधिक है वाहनों की संख्या बहुत अधिक है वहां के वातावरण और वायु जहरीली होने लगती है। जी हां हम बात कर रहे हैं भारत की राजधानी दिल्ली की। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए तैयारी शुरु कर दि गई है। केंद्र की ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान को 1 अक्टूबर से लागू कर दिया गया है। ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय का एक सेट है जो दिल्ली एनसीआर में लागू हुआ। योजना में एयर क्वालिटी खराब होने पर वाहनों पर प्रतिबंध और कोयले और जलाओ लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध शामिल है। बता दे कि इसकी शुरुआत एयर क्वालिटी इंडेक्स के 201 के लेवल को छूती हुई शुरू हुई इधर सर्दियों से पहले मौसम में भी बदलाव देखा जा रहा है। ऐसे जहरीली हवा और मौसम का यह बदलाव कुछ लोगों के लिए गंभीर हो सकता है ऐसे में सभी को अपने सेहत का खास खयाल रख सतर्क हो जाना चाहिए।
यह बात तो सभी जानते हैं कि वायु प्रदूषण कितना खतरनाक साबित हो सकता है। पिछले कुछ सालों से लगातार दिल्ली में वायु प्रदूषण की खबरें आ रही हैं दिल्ली के लोग काफी परेशान भी हैं। ऐसे में इन जहरीली दवाओं के द्वारा सेहत पूरी तरह बिगड़ सकती है यदि सतर्कता ना बरती गई तो लोगों को कई प्रकार की खतरनाक बीमारियां होने तक का भी प्रिडिक्शन किया गया है। लेकिन खास कर ऐसे लोग अपना ख्याल रखें जिन्हें पहले से ही कुछ बीमारियां हैं जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस निमोनिया आदि के मरीज इन मौसम में अपने आप को सुरक्षित रखें। तो चलिए जानते हैं की सबसे ज्यादा खतरा किन लोगों को है।
जहरीली होती हवा के बीच सबसे ज्यादा अस्थमा के लोगों को सतर्क रहना चाहिए। ऐसा इसलिए कि अस्थमा के मरीजों का फेफड़ा बहुत सेंसिटिव होता है और जहरीली होती हवा के कण अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए ऐसे लोग अभी से ब्रीदिंग एक्सरसाइज शुरू करें हल्दी का काढाले और फिर घर के बाहर मास्क लगाकर रहना शुरू करें ऐसा करने से आपको इस बदलते मौसम के बीच बीमार होने से बचाया जा सकता है।
ब्रोंकाइटिस और निमोनिया के मरीज जहरीली होती हवा के बीच सबसे ज्यादा परेशान हो सकते हैं। डॉक्टर की मानें तो इन्हें अपना खास ख्याल रखना चाहिए। इन दोनों के मरीजों को इन्फेक्शन की वजह से सांस लेने में दिक्कत हो सकती है और लंबे समय तक सूखी खांसी आ सकती है तो जब हवा बदल रही है तो फेफड़ों को इंफेक्शन से बचने के लिए लॉन्ग की चाय पीना शुरू करें यह काफी इंफेक्शन से बचाव में मदद करेगी।
बुजुर्ग लोग कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों की लिस्ट में आते हैं दरअसल साथ की उम्र के बाद के लोग पहले से ही किसी न किसी बीमारी के मरीज होते हैं बदलती हवा और मौसम के प्रति वह सेंसिटिव होते हैं और इसलिए आसानी से बीमार पड़ जाते हैं ऐसे लोगों को सलाह दी जाती है कि वह अपने सेहत का खास ख्याल रखें और इस बिगड़ते मौसम में सतर्क हो जाए ताकि यह जहरीली हवा उनकी कमजोरी इम्यूनिटी वाले शरीर पर अपना प्रभाव न छोड़ सके। वही शिशुओं के फेफड़े और बाकी अंग अभी विकसित हो रहे होते हैं इसलिए वह किसी भी छोटे मौसमी बदलाव के प्रति सेंसिटिव होते हैं साथ ही छोटे बच्चों की भी इम्यूनिटी कमजोर होती है जिस वजह से उन्हें सर्दी जुकाम निमोनिया और अस्थमा जैसी समस्याएं आसानी से ट्रिगर कर सकते हैं इसलिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए और अपने बच्चों का बीमारियों से बचाव करना चाहिए।