एक ऐसा मंदिर जहां स्नान करने से दूर हो जाते हैं पैरालिसिस जैसे रोग

लोगों का मानना है कि इसमें नहाने से शरीर की कुछ गंभीर रोग दूर होते हैं। मंदिर के पुजारी सुबोध बताते हैं कि बाकी माता का मंदिर करीब 290 साल पुराना है
मंदिर:- श्री दुर्गा देवी का बाकी माता मंदिर बेहद खास है [Wikimedia Commons]
मंदिर:- श्री दुर्गा देवी का बाकी माता मंदिर बेहद खास है [Wikimedia Commons]
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कई सारे मंदिर ऐसे होते हैं जो अपने नियम कानून से चलते हैं कहीं स्त्रियां मुख्य भूमिका में होती है तो कहीं पुरुष को के कार्य संभालने होते हैं मध्य प्रदेश के खरगोन शहर के बीचों जंबू मोहल्ले में स्थित श्री दुर्गा देवी का बाकी माता मंदिर बेहद खास है क्योंकि इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां नौ देव शक्तियों के साथ एक ही छत के नीचे सभी देवी देवता विराजमान। मंदिर के पास प्राचीन हीरा है। लोगों का मानना है कि इसमें नहाने से शरीर की कुछ गंभीर रोग दूर होते हैं। मंदिर के पुजारी सुबोध बताते हैं कि बाकी माता का मंदिर करीब 290 साल पुराना है तो चलिए आपको इस मन्दिर से जुड़े सभी रहस्य बताते हैं।

मंदिर की खासियत

मंदिर के संस्थापक भाटम दत्त को सपने में देवी ने दर्शन दिया उसके बाद मंदिर के पास वाले झील में से 9 देवियों की पिंड स्वरूप प्रतिमाएं निकली और पीपल के वृक्ष के नीचे स्थापित किए गए। नौ देवशक्तियों में मां ब्रह्माणी मां महेश्वरी मां सरस्वती मां महालक्ष्मी मां वाराही मां कुमारी मां वैष्णवी एवं इंद्राणी और चामुंडा एवं परिक्रमा में आठ भैरव है। तीन रुद्र अवतार भैरव है महाबली हनुमान है शिवजी सहित अन्य देवी देवता है यही वजह है कि यह मंदिर शहर का एकमात्र ऐसा मंदिर कहलाता है जहां एक ही छत के नीचे सभी देवी देवता मौजूद है।

नौ देवशक्तियों में मां ब्रह्माणी मां महेश्वरी मां सरस्वती मां महालक्ष्मी मां वाराही मां कुमारी मां वैष्णवी एवं इंद्राणी और चामुंडा एवं परिक्रमा में आठ भैरव है।[Wikimedia Commons]
नौ देवशक्तियों में मां ब्रह्माणी मां महेश्वरी मां सरस्वती मां महालक्ष्मी मां वाराही मां कुमारी मां वैष्णवी एवं इंद्राणी और चामुंडा एवं परिक्रमा में आठ भैरव है।[Wikimedia Commons]

अनोखी है परंपरा

पुजारी सुबोध जोशी एवं दुर्गेश पांडे बताते हैं कि लगभग डेढ़ सौ से 200 वर्षों से मंदिर में एक परंपरा निभाई जाती है नवरात्रि में मंदिर में गरबा नृत्य में महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष गरबा करते हैं। रात्रि 9:00 बजे सभी पुरुष मंदिर की परिक्रमा में गरबा करते हैं। पुजारी का कहना है कि पुराने समय में महिलाओं और पुरुषों के बीच एक मर्यादा होती थी महिलाएं लंबे घूंघट में रहती पुरुषों के साथ गरबे नहीं करते थे इसलिए यहां पुरुष गरबा करते थे आज भी इसी परंपरा को निभाया जा रहा है साथ गुजराती करते यहां गए जाते हैं।

200 वर्षों से मंदिर में एक परंपरा निभाई जाती है नवरात्रि में मंदिर में गरबा नृत्य में महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष गरबा करते हैं।[Wikimedia Commons]
200 वर्षों से मंदिर में एक परंपरा निभाई जाती है नवरात्रि में मंदिर में गरबा नृत्य में महिलाएं नहीं बल्कि पुरुष गरबा करते हैं।[Wikimedia Commons]

मां को क्या-क्या चढ़ाया जाता है

नवरात्रि में दोपहर की आरती में माता को जड़ी बूटियां वाला विशेष पान का दीदा और ज्वार की ढाणी का भोग लगाया जाता है। नौ दिनों में करीबन 700 पान माता को चढ़ाए जाते हैं और यह सभी पान भोग लगे के बाद व्रत धारी भक्तों को प्रसादी के रूप में बांट दिए जाते हैं। जड़ी बूटी वाले पान का उपवास करने वाले भक्तों द्वारा सेवन करने से उन्हें ठंडक के साथ ताकत मिलते हैं इसी वीडियो में दालचीनी जायफल लौंग इलाइची जयपत्री मिश्री पिपरमेंट और जेष्ठिमा का उपयोग किया जाता है।

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