जिनसे संभल नहीं रहा छत्तीसगढ़ वो सावरकर पर ज्ञान दे रहे

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने आर एस एस की तुलना नक्सलियों से की।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने आर एस एस की तुलना नक्सलियों से की।

अभी कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ के जिला कवर्धा में दंगों की खबर आई थी। जब वहां जानने पर पता चला दंगा क्यों हुआ? तो यह ज्ञात हुआ कि हिंदुओं का पवित्र एवं पूजनीय भगवा ध्वज को अपमानित कर जलाया गया है, इस विषय पर संपूर्ण हिंदू समाज एक व्यक्ति का बयान का इंतजार कर रहा था , वह हैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। दरअसल केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक पुस्तक के विमोचन पर एक सच्चाई कह दी जो कई लोगों को कड़वी लगी। आप को बता दे, यह पुस्तक वीर सावरकर के जीवन पर आधारित है जिसके विमोचन कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित थे।

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा सावरकर के बारे में एक झूठ फैलाया जाता है कि 1910 में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सावरकर ने ब्रिटिश हुकूमत के सामने दया याचिका दी थी। जबकि, सच यह है कि उन्होंने महात्मा गांधी के कहने पर ऐसा किया था। सावरकर ने भारत में मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत को प्रस्तुत किया। इसके अलावा राजनाथ सिंह ने वीर सावरकर के विषय में बताते हुए कहा कि वह भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा मामलों के विशेषज्ञ थे। सावरकर का हिंदुत्व धर्म से ऊपर था। वो किसी के साथ भी भेदभाव नहीं करते थे। उन्होंने हमेशा अखंड भारत की बात की। उनके हिंदुत्व को समझने के लिए गहरी समझ की आवश्यकता है।

राजनाथ सिंह के इस बयान पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और गांधी परिवार के प्रिय भूपेश बघेल ने बयान दिया,कि उस समय महात्मा गांधी कहाँ थे और सावरकर कहाँ थे? सावरकर जेल में थे। वह कैसे संवाद कर सकते थे? उन्होंने जेल से दया याचिका दायर की और अंग्रेजों के साथ रहना जारी रखा। वह 1925 में जेल से बाहर आने के बाद 2 राष्ट्र सिद्धांत की बात करने वाले पहले व्यक्ति थे।

भूपेश बघेल इतने में ही कहां रुकने वाले थे उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना नक्सलियों से करते हुए टिप्पणी की, कि छत्तीसगढ़ में जैसे नक्सलियों का नेता आंध्रप्रदेश में है और आंध्रप्रदेश से ही इनका मूमेंट संचालित होता है। वैसे ही छत्तीसगढ़ में आरएसएस के पास अपनी कोई क्षमता नहीं है। जो चलता है, नागपुर से चलता है।"

भूपेश बघेल के इस बयान के बाद लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए बघेल को कायदे से लताड़ा और उन्हें अपने राज्य में हो रहे दंगों की याद दिलाई।

Edited By: Lakshya Gupta

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