

भगवान तिरूपति बालाजी का असली नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है।
तिरुपति बालाजी में उपस्थित मूर्ति स्वयं प्रकट हुई और श्री वेंकटेश्वर स्वामी भगवान विष्णु के अवतार हैं।
तिरुपति बालाजी में भक्त अपना नहीं बल्कि भगवान का कर्ज उतारते हैं और इस धाम से जुड़ी साल 1989 के एक रहस्यमई घटना काफी प्रचलित है।
तिरुपति बालाजी के रहस्य
अगर आप कलयुग में भगवान से स्वयं मिलना चाहते हैं तो आपको कलयुग के विष्णु धाम यानी तिरुपति बालाजी के दर्शन जरूर करने चाहिए। यहां भगवान विष्णु ( Lord Vishnu) की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी, जहां भक्त उतारते हैं भगवान का कर्ज़,वही 1989 को मंदिर में हुई रहस्यमई घटना से हैरान हो गया था पूरा आंध्र प्रदेश, चलिए जानते हैं तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) के उस रहस्यमय राज ( Mystery secrat) और महिमा के बारे में जिसने आंध्र प्रदेश को रातों-रात कर दिया था हैरान!
कौन है भगवान तिरुपति बालाजी और क्या है उनका असली नाम?
भगवान तिरुपति बालाजी कोई और नहीं बल्कि भगवान विष्णु के ही अवतार है जिनका नाम भगवान श्री वेंकटेश्वर स्वामी बताया जाता है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि यहां पर भगवान वेंकटेश्वर खुद मूर्ति के रूप में प्रकट हुए थे यानी कि इस मूर्ति को किसी भी मनुष्य द्वारा नहीं बनाया गया है। यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि दुनिया में भी बेहद प्रसिद्ध है।
भगवान वेंकटेश्वर स्वामी यानी तिरुपति बालाजी का यह मंदिर चित्तूर जिला, तिरुमाला पर्वत, आंध्र प्रदेश में स्थित है और यह अपनी रहस्यमई तथा चमत्कारी घटनाओं के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। बताया जाता है कि धाम में कई सारी ऐसी चमत्कारी घटनाएं होती है जिससे भक्त हैरान रह जाते हैं और इनमें से कुछ घटनाएं तो ऐसी है जिससे आज तक पूरा आंध्र प्रदेश नहीं भूला पाया है।
1989 की रहस्यमई घटना
भगवान वेंकटेश्वर की महिमा का उदाहरण 1989 एक घटना है। बात उन दिनों की है जब पूरे साल बारिश न होने के कारण तिरुपति में सूखा पड़ गया था। तब उस समय मंदिर के अध्यक्ष रहे श्री पीवीआर के प्रसाद ने मंदिर में वरुण देव का जाप रखने की बात कही ताकि वरुण देव की कृपा से सूखे की समस्या खत्म हो जाए। मंदिर में वरुण देव के जब के लिए व्यवस्था की गई और विशेष पंडितों को आमंत्रण दिया गया लेकिन किसी कारणवश पंडित नहीं आ पाए। तभी श्री पीवीआर के प्रसाद ने भगवान तिरुपति जी की और हाथ जोड़कर उन्हें संकेत देने का आग्रह किया। जब के ठीक 1 दिन पहले रात में मंदिरों की घंटी जोर-जोर से बजने लगी और पूरा तिरुपति जाग उठा लेकिन रात में मंदिरों के कपाट नहीं खुलते हैं यह सोचकर हर कोई सिर्फ हैरानी से मंदिर की घंटियां की आवाज सुनता रहा और सुबह उठकर मंदिर के कपाट खोले गए।
मंदिर में वरुण देव का जाप शुरू किया गया और 3 दिन तक यह जाप चला लेकिन पानी की एक भी बूंद न पढ़ने से श्री पीवीआर के प्रसाद के आदेश पर भारी मन से जाप रोक दिया गया। सभी भक्त जब मंदिर की सीढ़िया से लौटकर घर जाने लगे तो साफ आसमान से गर्जती हुई बारिश होने लगी जिससे सूखे पड़े हुए नाले और नदियां अब इतने उफान में आ गए थे कि लग ही नहीं रहा था कि क्षेत्र में सूखा पड़ा है। भगवान वेंकटेश्वर की इस महिमा से पूरा आंध्र प्रदेश हैरान रह गए और तिरुपति में सुख की समस्या खत्म हो गई।
धरती पर प्रकट हुए भगवान विष्णु
तिरुपति बालाजी (Tirupati Balaji) दुनिया भर में अपने रहस्यमई चमत्कारों के साथ बहुत बड़े दान के लिए भी भक्तों और दार्शनिकों के बीच मशहूर है। कहा जाता है कि यहां पर सिर्फ पैसों का नहीं बल्कि सोने चांदी के साथ केश यानी बालों का भी बड़े लेवल पर दान किया जाता है। दरअसल इस बड़े दान के पीछे एक बहुत बड़ी प्राचीन मान्यता जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भक्त लोग भगवान वेंकटेश्वर का कर्ज चुकाने के लिए अपनी क्षमता अनुसार यहां दान करते हैं।
प्राचीन कथा के अनुसार जब विष्णु भगवान धरती पर श्रीनिवास के रूप में आए थे तो उनका विवाह पद्मावती से हुआ था। पद्मावती से भव्य विवाह करने के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर से बहुत बड़ा कर्ज लिया था। जब देवी लक्ष्मी को भगवान विष्णु के इस विवाह के बारे में पता चलता है तो वह भी धरती पर प्रकट होती है और यह सब देखकर वह हैरान रह जाती है और तभी भगवान विष्णु श्री वेंकटेश्वर अवतार में तिरुपति में मूर्ति के रूप में अपने आप को स्थापित कर लेते हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु कलयुग में तिरुपति के रूप में भक्तों की समस्या और संसार से पापों की मुक्ति के लिए विराजमान हुए हैं। यही कर्ज चुकाने के लिए तिरुपति बालाजी में भक्त केश यानी बालों, सोना चांदी और पैसों का दान करते हैं जिससे वह अपने भगवान वेंकटेश्वर का कर्ज उतारते हैं।
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने आपको तिरूपति बालाजी ( Tirupati Balaji) की साल 1989 की रहस्यमई घटना के बारे में बताया है जिसमें हमने जाना कि कैसे श्री वेंकटेश्वर स्वामी के रूप में भगवान विष्णु को पूजा जाता है और भक्त भगवान का कर्ज उतारते हैं।
OG